मंगलवार, अगस्त 14

तिरंगा


तिरंगा

नीलगगन में लहराते तिरंगे को देख
याद आते हैं वे अनाम चेहरे
इतिहास में जिनका कोई वर्णन नहीं
इस अमर स्वतन्त्रता के वाहक जो बने !

आज आजाद हैं हम
खुली हवा में श्वास लेने,
 दिल का हाल कहने सुनने को !

चैन की नींद सो सकते हैं
उगा सकते हैं धरा में अपनी पसंद की फसलें
भारत माँ को आराधना करते हुए
उगते सूरज को अर्घ्य चढ़ा सकते हैं !

लहरा जब जब तिरंगा शान से
हर भारतीय का हृदय भरा है आनबान से !

होश रखते हुए दिल में जोश जगाना है
इस तरह कुछ तिरंगा लहराना है
राम और कृष्ण की पावन भूमि का
महान गौरव सारे विश्व में बढ़ाना है !

3 टिप्‍पणियां:

  1. चैन की नींद सो सकते हैं
    उगा सकते हैं धरा में अपनी पसंद की फसलें
    भारत माँ को आराधना करते हुए
    उगते सूरज को अर्घ्य चढ़ा सकते हैं !...बहत खूबसूरत कविता..स्‍वतंत्रता दिवस की आपको शुभकामनाएं अनीता जी

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  2. स्वागत व आभार अलकनंदा जी !

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