tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post1567333229658545600..comments2024-03-28T10:26:57.335+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: गर्मियों की शाम सुंदरAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-18156101476085602322011-05-04T16:50:32.545+05:302011-05-04T16:50:32.545+05:30आल्हादित करता हुआ ..सुन्दर अभिव्यक्ति..आल्हादित करता हुआ ..सुन्दर अभिव्यक्ति..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-50067803188312653052011-05-04T09:54:07.818+05:302011-05-04T09:54:07.818+05:30प्रकृति की सुन्दरता का मनमोहक चित्रण किया है ........प्रकृति की सुन्दरता का मनमोहक चित्रण किया है .........सुन्दर|Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-87635603962121560432011-05-03T12:40:07.889+05:302011-05-03T12:40:07.889+05:30गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी
घास कोमल...गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी<br />घास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी<br /><br />बहुत ही अच्छी रचना....सुंदर भावों के साथ...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-73356359121373497742011-05-01T20:34:25.858+05:302011-05-01T20:34:25.858+05:30गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी
घास कोमल...गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी<br />घास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी<br /><br />है अँधेरा छा गया अब रात की आहट सुनो<br />दूर हो दिन की थकन अब नींद में सपने बुनो<br /><br />बहुत रोचक ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-211813901945049042011-05-01T18:17:36.716+05:302011-05-01T18:17:36.716+05:30झूमते पादप हंसें कलियाँ हवा के संग तन
नाचते पीपल क...झूमते पादप हंसें कलियाँ हवा के संग तन<br />नाचते पीपल के पत्ते खिलखिला गुड़हल मगन<br /><br />गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी<br />घास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी.<br /><br />बहुत जीवंत चित्रण गर्मियों का सुंदर एवं भावपूर्ण. रस्बिभोर कर गयी आपकी कविता.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-58209136868590263012011-05-01T17:48:28.972+05:302011-05-01T17:48:28.972+05:30आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-2108714857815452182011-05-01T15:21:31.091+05:302011-05-01T15:21:31.091+05:30वाकई गर्मियों की शाम का मज़ा ही अलग है, सुन्दर अभि...वाकई गर्मियों की शाम का मज़ा ही अलग है, सुन्दर अभिव्यक्ति!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-14438231805943651172011-05-01T14:17:54.448+05:302011-05-01T14:17:54.448+05:30गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी
घास कोमल...गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी<br />घास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी I...<br /><br />बहुत भावमयी रचना...मन को आल्हादित करता बहुत सुन्दर शब्द चित्र..आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com