tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post1721082744086517117..comments2024-03-29T09:56:47.729+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: गति वैसी होनी जानी है !Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-69669511472651324232011-01-13T15:59:38.843+05:302011-01-13T15:59:38.843+05:30अनीता जी,
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना.....ये पंक्ति...अनीता जी,<br /><br />बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना.....ये पंक्ति सबसे अच्छी लगी....<br /><br />पुण्य सदा सुखकारी जग में<br />दुःख लाए पाप जीवन में !<br /><br />सच है हम स्वयं से ही दुःख पाते है और भला यहाँ कौन है जो हमें दुःख दे सकता है...ये सिर्फ और सिर्फ हमारा चुनाव है|Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-33445236158602819362011-01-12T21:57:28.938+05:302011-01-12T21:57:28.938+05:30स्वयं को साक्षी भाव में रखें फिर हो जाये जो होना ह...स्वयं को साक्षी भाव में रखें फिर हो जाये जो होना हो !-- इस पंक्ति में सब कुछ आ गया.यही तो सीखने समझने की जरूरत है.geetachandnahttps://www.blogger.com/profile/14564664486059334886noreply@blogger.com