tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post1848492812287170499..comments2024-03-28T10:26:57.335+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: तू उस पार दिव्य आलोकितAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-76024019235276366932011-11-25T14:55:45.231+05:302011-11-25T14:55:45.231+05:30अनुपमा जी, बढ़ते बढ़ते यह पीड़ा ही एक दिन द्वार खो...अनुपमा जी, बढ़ते बढ़ते यह पीड़ा ही एक दिन द्वार खोल देती है...Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-14239552452080924622011-11-21T10:41:40.319+05:302011-11-21T10:41:40.319+05:30कैसा सुंदर पल होगा वह
यह दीवार भी ढह जायेगी,
युगों...कैसा सुंदर पल होगा वह<br />यह दीवार भी ढह जायेगी,<br />युगों-युगों से जो मन में है<br />पीड़ा विरह की बह जायेगी !<br /><br />पीड़ा बहती कहाँ है ..निरंतर बढ़ती ही जाती है ....!!<br />बहुत सुंदर भाव ...Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-19250764971668493602011-11-19T18:46:00.944+05:302011-11-19T18:46:00.944+05:30वन्दना जी, यह संभव होगा ही...एक न एक दिन..रविकर जी...वन्दना जी, यह संभव होगा ही...एक न एक दिन..रविकर जी, मनोज जी, इमरान जी, सुनील जी, अनुपमा जी, सुषमा जी आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-68360089621869627752011-11-19T16:52:31.820+05:302011-11-19T16:52:31.820+05:30काश ये संभव हो पाये।काश ये संभव हो पाये।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-38756604510889234092011-11-19T10:17:13.465+05:302011-11-19T10:17:13.465+05:30कैसा सुंदर पल होगा वह
यह दीवार भी ढह जायेगी,
युगों...कैसा सुंदर पल होगा वह<br />यह दीवार भी ढह जायेगी,<br />युगों-युगों से जो मन में है<br />पीड़ा विरह की बह जायेगी !<br /><br />बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ..सुन्दर शब्दों का चयन..!<br />मेरे ब्लॉग और रचना की तारीफ़ के लिये आपका <br />दिल से शुक्रिया ! आपका आगे भी हमेशा हार्दिक स्वागत रहेगा ...!Jeevan Pushphttps://www.blogger.com/profile/15866178821083740220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-76266452844944988242011-11-18T21:54:02.909+05:302011-11-18T21:54:02.909+05:30बहुत ही सुन्दर शब्द रचना.....बहुत ही सुन्दर शब्द रचना.....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-19665049998560202272011-11-18T18:42:37.354+05:302011-11-18T18:42:37.354+05:30अहम् की दीवार खड़ी है
मेरे-तेरे मध्य, ओ प्रियतम !
...अहम् की दीवार खड़ी है<br />मेरे-तेरे मध्य, ओ प्रियतम !<br />बाधा यह इक मात्र बड़ी है<br />मिलन न होता दूर हैं हम-तुम !<br />मिलन के लिए यह दीवार गिरानी होगी सुंदर रचना ........Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-17116655196781511062011-11-18T13:28:00.773+05:302011-11-18T13:28:00.773+05:30अहम् की दीवार खड़ी है
मेरे-तेरे मध्य, ओ प्रियतम !
...अहम् की दीवार खड़ी है<br />मेरे-तेरे मध्य, ओ प्रियतम !<br />बाधा यह इक मात्र बड़ी है<br />मिलन न होता दूर हैं हम-तुम !<br /><br />कविवर रविन्द्र की याद दिला गयी ये पोस्ट............बहुत ही सुन्दर......और लफ्ज़ नहीं बचे कुछ कहने को|Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-76970637425824315842011-11-18T13:08:50.868+05:302011-11-18T13:08:50.868+05:30अहम् की दिवार का ढहना कितने अकल्पित सुखों को सिरजे...अहम् की दिवार का ढहना कितने अकल्पित सुखों को सिरजेगा... इसकी कल्पना नहीं की जा सकती!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-89936105369817350192011-11-18T11:40:05.496+05:302011-11-18T11:40:05.496+05:30जीवन कितने भेद छिपाए
रोज उघाड़े घाव अदेखे,
जाने कि...जीवन कितने भेद छिपाए<br />रोज उघाड़े घाव अदेखे,<br />जाने कितना बोझ उठाना<br />जाने क्या लिखा है लेखे !<br />इन्हीं उठा-पटक के बीच सृजन का निरन्तर क्रम भी चलता रहता है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-48523206921621164482011-11-18T11:10:56.930+05:302011-11-18T11:10:56.930+05:30बहुत सुन्दर ||
दो सप्ताह के प्रवास के बाद
संयत हो...बहुत सुन्दर ||<br />दो सप्ताह के प्रवास के बाद <br />संयत हो पाया हूँ ||<br />बधाई ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com