tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post3306357262475448983..comments2024-03-19T13:34:00.627+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: ऐसा है आदमीAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-38648690449324847752011-02-25T22:55:22.604+05:302011-02-25T22:55:22.604+05:30सुबह से शाम तक जो कसमें खुदा की खाए अनजान ही खुदा ...सुबह से शाम तक जो कसमें खुदा की खाए अनजान ही खुदा से रहता है आदमी ! <br />सभी पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी हैं !रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-67659095329799581682011-02-25T10:42:46.760+05:302011-02-25T10:42:46.760+05:30मकसद सभी का साझा जन्नत बने ये दुनिया फिर क्यों दीव...मकसद सभी का साझा जन्नत बने ये दुनिया फिर क्यों दीवारें दिल में चुनता है आदमी ! <br />बहुत प्रेरणा देती हुई सुन्दर रचना ...संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-44067036016973913562011-02-24T19:25:04.496+05:302011-02-24T19:25:04.496+05:30मकसद सभी का साझा जन्नत बने ये दुनिया
फिर क्यों दीव...मकसद सभी का साझा जन्नत बने ये दुनिया<br />फिर क्यों दीवारें दिल में चुनता है आदमी !<br /><br />बहुत सार्थक और प्रेरक रचना..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com