tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post4678079682540680986..comments2024-03-29T09:56:47.729+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: दुलियाजान में तेंदुआAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-46264365956162822782012-06-08T15:16:52.466+05:302012-06-08T15:16:52.466+05:30सार्थक विषय पर सार्थक पोस्ट।सार्थक विषय पर सार्थक पोस्ट।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-44717954732515533622012-06-06T14:08:29.299+05:302012-06-06T14:08:29.299+05:30मनोज कुमार ने आपकी पोस्ट " दुलियाजान में तेंद...मनोज कुमार ने आपकी पोस्ट " दुलियाजान में तेंदुआ " पर एक टिप्पणी छोड़ी है: <br /><br />आपकी चिंता जायज़ है।<br />कर दिया है। औद्योगिक विकास के कारण पृथ्वी के जीवन पर दबाव पड़ रहा है। जीवन खतरे में पड़ गया है। सौर प्रणाली में ढ़ेर सारे भौतिक और रासायनिक बदलाव आ रहे हैं। जीवनोपयोगी प्रणालियों में भी परिवर्तन आ रहा है। जीवन की न सिर्फ़ गुणवत्ता नष्ट हो रही है बल्कि जीवन की क्षमता भी Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-65437177026931587882012-06-05T23:11:53.931+05:302012-06-05T23:11:53.931+05:30bahut sahi kaha aapne aur ye samachar mai bhi padh...bahut sahi kaha aapne aur ye samachar mai bhi padhi thiDr. sandhya tiwarihttps://www.blogger.com/profile/15507922940991842783noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-30517525178361637902012-06-05T21:37:48.838+05:302012-06-05T21:37:48.838+05:30मार्मिक है ...
हम इन मूक जीवों की भाषा नहीं समझ पा...मार्मिक है ...<br />हम इन मूक जीवों की भाषा नहीं समझ पाते हैं , वे मानव से बहुत अच्छे हैं !<br />आभार !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-69566329204410688612012-06-05T20:48:11.886+05:302012-06-05T20:48:11.886+05:30आपकी चिंता जायज़ है।
कर दिया है। औद्योगिक विकास क...आपकी चिंता जायज़ है।<br /> कर दिया है। औद्योगिक विकास के कारण पृथ्वी के जीवन पर दबाव पड़ रहा है। जीवन खतरे में पड़ गया है। सौर प्रणाली में ढ़ेर सारे भौतिक और रासायनिक बदलाव आ रहे हैं। जीवनोपयोगी प्रणालियों में भी परिवर्तन आ रहा है। जीवन की न सिर्फ़ गुणवत्ता नष्ट हो रही है बल्कि जीवन की क्षमता भी प्रभावित हो रही है। जीव-जंतु विलुप्त हो रहे हैं। फसलों की पैदावार घट रही है। जल-संकट गहराता जा रहा है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-88101368046258873262012-06-05T18:10:07.522+05:302012-06-05T18:10:07.522+05:30विश्व पर्यावरण दिवस पर सुन्दर सार्थक रचना....आप को...विश्व पर्यावरण दिवस पर सुन्दर सार्थक रचना....आप को विश्व पर्यावरण दिवस पर बहुत बहुत बधाई..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.com