tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post5959831234054677813..comments2024-03-29T09:56:47.729+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: घर में उसको आने दोAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-8835772856318245362010-11-20T21:55:44.110+05:302010-11-20T21:55:44.110+05:30आद. अनीता जी,
नमस्कारम्!
आपकी विनम्रता को प्रणाम ...आद. अनीता जी,<br />नमस्कारम्!<br />आपकी विनम्रता को प्रणाम करता हूँ। विनम्रता के साथ-साथ आपके गुणग्राही व्यक्तित्व का भी परिचय मिला...सभी में ऐसी क्षमता नहीं होती है कि अपने लेखन के दोषों को यूँ सार्वजनिक मंच से स्वीकार कर सकें। <br /><br />‘जौहर’ बनाम ‘जौहरी’ वाले बिन्दु पर एक बार पुनः विचार करके देखें कि ‘जौहर’ बड़ा या ‘जौहरी’...? हाऽऽहाऽऽ हाऽऽ...! <br /><br />आपके चिंतन-लोक से काफी प्रभावित जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-45207672143496218232010-11-19T13:47:27.125+05:302010-11-19T13:47:27.125+05:30इमरान जी, आप और सभी पाठक जो मेरी कवितायें पढते हैं...इमरान जी, आप और सभी पाठक जो मेरी कवितायें पढते हैं मेरे लिये महत्वपूर्ण हैं,क्योकि सबके भीतर एक उसी का प्रकाश है, अपने तो सदा मेरी हौसला अफजाई ही की है सो आपका भी तहे दिल से शुक्रिया !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-44614742980750407662010-11-19T12:00:40.090+05:302010-11-19T12:00:40.090+05:30अनीता जी,
जीतेन्द्र जी के सामने तो हम कुछ बोलने ल...अनीता जी,<br /><br />जीतेन्द्र जी के सामने तो हम कुछ बोलने लायक नहीं बचते.....पर इस टिपण्णी के माध्यम से अपनी उपस्तिथी अवश्य दर्ज करवा रहें हैं|Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-53887610318240469492010-11-18T22:31:53.384+05:302010-11-18T22:31:53.384+05:30bahut sundar bhavon se bhari kavita.bahut sundar bhavon se bhari kavita.Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-71531639547377656672010-11-18T21:35:09.845+05:302010-11-18T21:35:09.845+05:30आदरणीय जितेन्द्र जी, मुझे आपकी टिप्पणी पढ़कर सुखद आ...आदरणीय जितेन्द्र जी, मुझे आपकी टिप्पणी पढ़कर सुखद आश्चर्य हों रहा है, आपका नाम जौहरी होना चाहिए जौहर की बजाय, सचमुच एक भाव दशा में यह कविता लिखी गयी, बल्कि मेरी सभी कवितायें, यदि वे कवितायें हैं तो एक पल के आवेग में लिखी गयी हैं सप्रयास नहीं, छंद का ज्ञान कभी लिया नहीं जो शब्द सहज उतरते गए वही लिखे , लय के बारे में आपके सुझाव मुझे मान्य हैं सो मैं एडिट कर के कविता पुनः लिख रही हूँ. शुक्रिया!Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-67951398962707931042010-11-18T17:21:06.495+05:302010-11-18T17:21:06.495+05:30अनीता जी,
नमस्कारम्!
सच ही तो कहा है आपने...कि इस...अनीता जी,<br />नमस्कारम्!<br />सच ही तो कहा है आपने...कि इस चार पल के मेले में सिर्फ़ उस ‘एक’ ही का मिलन सच्चा मिलन है, बाक़ी सब तो कुछ पल के लिए मिलकर बस स्मृतियाँ-मात्र छोड़ जाते हैं...इंसान उन्हीं स्मृतियों के लोक में गोल-गोल घूमता रह जाता है!<br /><br />डिक्शन (भाषा-चयन) भी विषयानुकूल...सर्वथा सहज एवं अनारोपित! ऐसा लगा कि मानो एक सहज प्रवाह में भाव व विचार उतरते चले हों...और आप उन्हें काग़ज़जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-91498658065199236412010-11-18T16:35:01.711+05:302010-11-18T16:35:01.711+05:30वैसे तो वह मिला हुआ है
हमने ही ना याद किया,
भीतर स...वैसे तो वह मिला हुआ है<br />हमने ही ना याद किया,<br />भीतर सूरज उगा हुआ है<br />हमने ही पट बंद किया !<br /><br /><br />बहुत सुन्दर|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.com