tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post6982182724368543555..comments2024-03-28T10:26:57.335+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: कैसा है वहAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-66591022009894223812022-02-21T11:42:03.068+05:302022-02-21T11:42:03.068+05:30कैलाश जी, मनोज जी, अरविंद जी, वंदना जी, संगीता जी,...कैलाश जी, मनोज जी, अरविंद जी, वंदना जी, संगीता जी, अनुपमा जी और बेनामी जी आप सभी का स्वागत व आभार! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-25633706742399844222010-12-06T14:26:49.146+05:302010-12-06T14:26:49.146+05:30अनीता जी,
उसके हर रूप को साकार कर दिया है आपने......अनीता जी,<br /><br />उसके हर रूप को साकार कर दिया है आपने....बहुत सुन्दर <br /><br />लाखों सीप अनखिले रहते, किसी एक में उगता मोती<br />लाखों जीवन आते जाते, किसी एक में रब की ज्योति<br /><br />कोमल जैसे माँ का दिल, दृढ जैसे पत्थर की सिल<br />सागर सा विस्तीर्ण है जो, नौका वही, वही साहिल<br /><br />लगे सदा वह मीत पुराना, जन्मों का जाना-पहचाना<br />खो जाता मन सम्मुख आके, चाहे कौन किसे फिर पाना<br /><Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-76829435457078572822010-12-05T17:28:50.922+05:302010-12-05T17:28:50.922+05:30बहुत सुन्दर प्रवाह...
सारगर्भित रचना!बहुत सुन्दर प्रवाह...<br />सारगर्भित रचना!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-88359671640596296002010-12-05T15:34:41.016+05:302010-12-05T15:34:41.016+05:30बहुत सुन्दर और मन को संतुष्ट करती रचना ..बहुत सुन्दर और मन को संतुष्ट करती रचना ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-14416307355721778012010-12-05T12:17:56.963+05:302010-12-05T12:17:56.963+05:30वाह वाह गज़ब की लयबद्ध प्रस्तुति सीधे दिल मे उतरती ...वाह वाह गज़ब की लयबद्ध प्रस्तुति सीधे दिल मे उतरती है…………बस वो तो बिल्कुल वैसा ही है…………॥<br />जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-34149668070703273202010-12-05T10:23:18.257+05:302010-12-05T10:23:18.257+05:30सुन्दर रचना...
आपका आभार,
आपके अपने ब्लॉग पर आपका ...सुन्दर रचना...<br />आपका आभार,<br />आपके अपने ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है<br />http://arvindjangid.blogspot.com/Arvind Jangidhttps://www.blogger.com/profile/02090175008133230932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-3736936337022086442010-12-04T17:37:12.927+05:302010-12-04T17:37:12.927+05:30बहुत अच्छी लगी यह रचना। हनुमान चालीसा की तरह पढ गय...बहुत अच्छी लगी यह रचना। हनुमान चालीसा की तरह पढ गया। याद भी कर गया कई पंक्तियां।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-12013821104491957932010-12-04T15:06:58.044+05:302010-12-04T15:06:58.044+05:30लाखों सीप अनखिले रहते, किसी एक में उगता मोती
लाखों...लाखों सीप अनखिले रहते, किसी एक में उगता मोती<br />लाखों जीवन आते जाते, किसी एक में रब की ज्योति<br /><br />उस अनंत की तलाश ही जीवन का सार्थक उद्देश्य है..ऊर्जा से परिपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति..आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com