tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post8975588428579295053..comments2024-03-28T10:26:57.335+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: चेतन भीतर जो सोया हैAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-26743103608087641402011-12-18T10:09:56.036+05:302011-12-18T10:09:56.036+05:30चट्टानें भी झुक जाती हैं
मिटने को तैयार सहर्ष,
राह...चट्टानें भी झुक जाती हैं<br />मिटने को तैयार सहर्ष,<br />राह बनातीं, सीढ़ी बनतीं<br />नहीं धारतीं जरा अमर्ष !<br /><br />बहुत भावपूर्ण सारगर्भित प्रस्तुति. बधाई.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-13146262759400213352011-12-17T20:45:42.420+05:302011-12-17T20:45:42.420+05:30लेकिन हम ऐसे दीवाने
खुद के ही खिलाफ खड़े हैं,
अपनी...लेकिन हम ऐसे दीवाने<br />खुद के ही खिलाफ खड़े हैं,<br />अपनी ही मंजिल के पथ में<br />बन के बाधा सदा अड़े हैं ! <br /> सत्य ।रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-84833131372992952752011-12-17T16:09:04.393+05:302011-12-17T16:09:04.393+05:30लेकिन हम ऐसे दीवाने
खुद के ही खिलाफ खड़े हैं,
अपनी...लेकिन हम ऐसे दीवाने<br />खुद के ही खिलाफ खड़े हैं,<br />अपनी ही मंजिल के पथ में<br />बन के बाधा सदा अड़े हैं <br /><br />सुन्दर भावपूर्ण रचना....<br />सादर बधाई...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-40336497198114527492011-12-17T14:40:51.266+05:302011-12-17T14:40:51.266+05:30जड़ पर बस चलता चेतन का
मन जड़ होने से है डरता,
पल ...जड़ पर बस चलता चेतन का<br />मन जड़ होने से है डरता,<br />पल भर यदि निष्क्रिय हो बैठे<br />चेतन भीतर से उभरता !<br /><br />वाह ..कितनी गहन बात ..सुन्दर अभिव्यक्तिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-16219511943775113222011-12-16T23:53:55.055+05:302011-12-16T23:53:55.055+05:30कल १७-१२-२०११ को आपकी कोई पोस्ट नयी पुरानी हलचल ...<i><b> कल १७-१२-२०११ को आपकी कोई पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> नयी पुरानी हलचल </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i>Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-63488322937177779262011-12-16T21:46:16.895+05:302011-12-16T21:46:16.895+05:30जड़ पर बस चलता चेतन का
मन जड़ होने से है डरता,
पल ...जड़ पर बस चलता चेतन का<br />मन जड़ होने से है डरता,<br />पल भर यदि निष्क्रिय हो बैठे<br />चेतन भीतर से उभरता !<br />बहुत खूभ! गहन गूढ़ आध्यात्मिक चिंतन।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-67062020519549472882011-12-16T19:58:30.572+05:302011-12-16T19:58:30.572+05:30दीवाना मन समझ न पाए
जिसको बाहर टोह रहा है,
भीतर ...दीवाना मन समझ न पाए <br />जिसको बाहर टोह रहा है, <br />भीतर बैठा वह प्रियतम भी <br />उसका रस्ता जोह रहा है <br /><br />मोको कहाँ ढूँढे रे बन्दे <br />मैं तो तेरे पास में.....!<br /><br />बस यात्रा सिर्फ इतनी ही है....!!<br />सुन्दर भावपूर्ण....***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-56061051645261490412011-12-16T19:19:12.238+05:302011-12-16T19:19:12.238+05:30चट्टानें भी झुक जाती हैं
मिटने को तैयार सहर्ष,
राह...चट्टानें भी झुक जाती हैं<br />मिटने को तैयार सहर्ष,<br />राह बनातीं, सीढ़ी बनतीं<br />नहीं धारतीं जरा अमर्ष !<br />बहुत ही सुंदर और सारगर्भित रचना ......Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-16275354569733623502011-12-16T19:14:19.869+05:302011-12-16T19:14:19.869+05:30दीवाना मन समझ न पाए
जिसको बाहर टोह रहा है,
भीतर बै...दीवाना मन समझ न पाए<br />जिसको बाहर टोह रहा है,<br />भीतर बैठा वह प्रियतम भी<br />उसका रस्ता जोह रहा है !<br />बहुत खूब ....मन के वीचारों को व्यक्त करती खूबसूरत रचना <br />समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत हैPallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-33372800069110370972011-12-16T16:11:53.032+05:302011-12-16T16:11:53.032+05:30ऐसे ही भीतर कोई है
युगों-युगों से बाट जोहता,
मुक्त...ऐसे ही भीतर कोई है<br />युगों-युगों से बाट जोहता,<br />मुक्त गगन का आकांक्षी जो <br />कौन है उसका मार्ग रोकता !<br /><br />वाह ! खुद की मुक्ति के लिए झझकोरती हुई रचना ...सच में हम खुद ही खड़े हैं अपनी राह में, सबसे बड़ी बाधा तो हम खुद ही हैं ....<br />बहुत अच्छा लग रहा है कविता को पढ़कर, प्रणाम स्वीकारिये !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-17515712901570044572011-12-16T14:41:47.798+05:302011-12-16T14:41:47.798+05:30लेकिन हम ऐसे दीवाने
खुद के ही खिलाफ खड़े हैं,
अपनी...लेकिन हम ऐसे दीवाने<br />खुद के ही खिलाफ खड़े हैं,<br />अपनी ही मंजिल के पथ में<br />बन के बाधा सदा अड़े हैं ! <br /><br />बहुत ही सुन्दर पोस्ट......हम स्वयं ही अपने लिए बाधा हैं बहुत खूब|Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-46990213258634265852011-12-16T12:16:02.244+05:302011-12-16T12:16:02.244+05:30लेकिन हम ऐसे दीवाने
खुद के ही खिलाफ खड़े हैं,
अपनी...लेकिन हम ऐसे दीवाने<br />खुद के ही खिलाफ खड़े हैं,<br />अपनी ही मंजिल के पथ में<br />बन के बाधा सदा अड़े हैं ! ... apna durbhagy khud ... bahut kuch sikhaati rachnaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com