tag:blogger.com,1999:blog-64745928905572377932024-03-18T20:04:44.773+05:30मन पाए विश्राम जहाँनए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger1852125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-68838685201594670572024-03-18T09:59:00.003+05:302024-03-18T09:59:53.037+05:30गहराई में जा सागर के गहराई में जा सागर के हँसना व हँसाना यारों अपना शौक पुराना है,आज जिसे देखा खिलते कल उसको मुरझाना है ! जाने कब से दिल-दुनिया ख़ुद के दुश्मन बने हुए, बड़े जतन कर के इनको तम से हमें जगाना है ! बादल नहीं थके अब भी कब से पानी टपक रहा ,आसमान की चादर में हर सुराख़ भरवाना है !सूख गये पोखर-सरवर दिल धरती का अब भी नम, Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-62404228338771148512024-03-13T15:19:00.000+05:302024-03-13T15:19:15.875+05:30जीवन जीवन इतनी शिद्दत से जीना होगा जैसे फूट पडती है कोंपल कोईसीमेंट की परत को भेदकर,ऊर्जा बही चली आती है जलधार मेंचीर कर सीना पर्वतों का या उमड़-घुमड़ बरसती है बदली सावन की !न कि किसी जलते-बुझते दीप की मानिंद या अलसायी सी छिछली नदी की तरह पड़े रहें और बीत जाये जीवन... का यह क्रमलिए जाए मृत्यु के द्वार पर खड़े होना पड़े सिर झुकाएदेवता के चरणों में चढ़ाने लायकफूल Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-45908793686774439922024-03-07T13:24:00.000+05:302024-03-07T13:24:52.422+05:30राह अब भी बहुत शेष है विश्व महिला दिवस पर राह अब भी बहुत शेष है बनने लगे हैं कितने ही बिंब मन की आँखों के सम्मुख छा जाते बन प्रतिबिंब कौंध जाते कितने ही ख़्याल हैं आख़िर यह विश्व की आधी आबादी का सवाल है ऐसा लगता है दुनियाएक पहिये पर ही आज तक चलती रही है तभी शायद इधर-उधर लुढ़क सी रही है किंतु अब समाचार सुनें ताजे घुट-घुट कर जीने के दिन गये&Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-55475551326351555362024-03-06T15:32:00.003+05:302024-03-06T15:32:40.784+05:30अपना-अपना स्वप्न देखते अपना-अपना स्वप्न देखते एक चक्र सम सारा जीवन जन्म-मरण पर जो अवलंबित,एक ऊर्जा अवनरत स्पंदित अविचल, निर्मल सदा अखंडित ! एक बिंदु से शुरू हुआ था वहीं लौट कर फिर जाता है, किन्तु पुनः पाकर नव जीवननए कलेवर में आता है ! पंछी, मौसम, जीव सभी तो इसी चक्र से बँधे हुए हैं , अपना-अपना स्वप्न देखते नयन सभी के मुँदे हुए हैं !हुई शाम तो लगीं अजानें&Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-21804073856181792772024-03-04T12:40:00.000+05:302024-03-04T12:40:20.147+05:30पराधीनता पराधीनता उस दिन वह बहुत रोयी थी, आँगन में बैठकर ज़ोर से आवाज़ निकालते हुए, जैसे कोई उसका दिल चीर कर ले जा रहा हो। शायद उसकी चीख में उन तमाम औरतों की आवाज़ भी मिली हुई थी जिन्हें सदियों से दबाया जाता रहा था। उनकी माएँ, दादियाँ, परदादियाँ और जानी-अनजानी दूर देशों की वे औरतें, जिन्हें अपने सपनों को जीने का हक़ नहीं दिया जाता है। उसने जिस पर इतना भरोसा किया था, जिसे अपना सर्वस्व माना था, जिसे Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com18tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-69578791154358749102024-03-02T11:07:00.000+05:302024-03-02T11:07:00.189+05:30शुरू हुआ मार्च का मार्च शुरू हुआ मार्च का मार्च यह नव ऋतु के आगमन का काल है जब पकड़ ढीली हो गई है जाड़ों की अंगड़ाई ले रही हैं नई कोंपलें वृक्षों की डालियों पर शीत निद्रा से जागने लगे हैं जंतु जो धरा के गर्भ में सोये थेखिलने लगे हैं डैफ़ोडिल भी हज़ारों क़िस्म के फूलों के साथ आने को है महा शिवरात्रि का पर्व बढ़ाने महिला दिवस का गौरव इसी माह को जाता है श्रेय रमज़ान केAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-61691094259207812202024-02-29T10:02:00.003+05:302024-02-29T10:02:43.086+05:30एक लघु कथा अकेली उसकी आँखों से गंगा जमुना बह रही थी। उसने क्या सोचा था और क्या हो गया था। अभी कल तक तो उसका छोटा सा सुखी परिवार था, एक प्यारा सा बेटा, मेधावी पति, जो अपनी ख़ुद की कंपनी खोल रहा था। उसके सास-ससुर भी पास ही रहते थे, उनके साथ भी उसके रिश्ते अच्छे थे। पर आज ऐसा क्या हो गया कि जैसे कोई किसी के घरौंदे को तिनका-तिनका बिखे दे, उसका संसार उजड़ रहा है। उसे याद आया, कॉलेज में वह बहुत सक्रिय थी, Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-32033804991081655302024-02-26T10:21:00.000+05:302024-02-26T10:21:13.145+05:30कब खुलता यहाँ द्वार तेरा कब खुलता यहाँ द्वार तेरा दिल में ढेरों लिए कामना जब कोई याचक आता है, ‘मैं’ पा लूँगा परम शक्ति से स्वयं को वही भरमाता है !तब तक नहीं खुला करता है द्वार सदा जो खुला हुआ है, जब ख़ाली हो मन हर शै से तत्क्षण प्रियतम मिला हुआ है !‘तू’ कहकर जब ढूँढा उसको ‘मैं’ भी संग हुआ छलता है, उसके सिवा न कोई जग में सत्य प्रकट पल-पल करता है तम से ढका Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-39765384380450671752024-02-24T15:27:00.003+05:302024-02-24T15:27:46.281+05:30आर्टिकल ३७० आर्टिकल ३७० रक्त रंजित था जब कश्मीर थमा दिये गये थे पत्थर बच्चों-युवाओं के हाथों में जो अपने ही वतन के रक्षकों को निशाना बनाते थे जब चंद लोग निज स्वार्थ की ख़ातिर सरहद पार से जा मिले थे और उनके नापाक इरादों को यहाँ अंजाम देने के मंसूबे पालते थे जहन्नुम बना रहे थे जो जन्नत को ऐसे में एक जाँबाज़ कश्मीरी लड़की और पीएमओ की एक देशभक्त Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-3265610935814003032024-02-22T15:34:00.017+05:302024-02-22T17:10:51.285+05:30मुक्तेश्वर और जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान नैनीताल की छोटी सी यात्रा - ३ मुक्तेश्वर और जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान २१ नंबर आज सुबह दस बजे हम मुक्तेश्वर के लिए रवाना हुए। उससे पूर्व रिज़ौर्ट में ही प्रातः भ्रमण किया नदी किनारे एक चट्टान पर स्थित योग कक्ष में प्राणायाम तथा योग साधना की। जल प्रपात, नदी तथा झील की कुछ तस्वीरें उतारीं।आलू-पराँठा और दही का नाश्ता करके आधा घंटा पैदल चल कर, दो बार पहाड़ी नदी पार करके हम उस स्थान Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-48354107788059013312024-02-19T15:29:00.003+05:302024-02-19T15:29:28.427+05:30कैंची धाम की यात्रा नैनीताल की एक छोटी सी यात्रा - २ कैंची धाम की यात्रा २० नवम्बर सुबह नाश्ते के बाद दस बजे हम नैनीताल से रवाना हुए।सबसे पहले शहर की चहल-पहल से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित ‘लवर्स पॉइंट’ नामक स्थान देखा, जिसे सुसाइड पॉइंट भी कहते हैं। घाटी का दृश्य मनोरम था, यहाँ से खेत, झील और कई सुंदर पहाड़ियाँ दिखाई पड़ती हैं।हमने यादों के रूप में यहाँ की कई तस्वीरें कैमरे में क़ैद कर Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-57859764796526395982024-02-15T15:53:00.001+05:302024-02-15T15:53:38.642+05:30नैनीताल की एक छोटी सी यात्रा नैनीताल की एक छोटी सी यात्रा १९ नवम्बर परसों सत्रह तारीख़ की सुबह हम बंगलुरु से लखनऊ पहुँचे थे। लखनऊ हवाई अड्डे का टर्मिनल-२ अभी भी दीपावली की सजावट के कारण बहुत आकर्षक लग रहा था। जूम कार से होटल पहुँच गये। जहां भतीजी की शादी होनी थी। मेंहदी का कार्यक्रम आरंभ होने वाला था। सुंदर सजावट के मध्य तीन कलाकार पारंपरिक पोशाक में मेंहदी लगाने के लिए भी तैयार बैठे थे। युवा इवेंट मैनेजर सारा Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-31434801627790415972024-02-13T10:11:00.002+05:302024-02-13T10:11:34.066+05:30दूर हुए पर हृदय निकट थे दूर हुए पर हृदय निकट थे सिया-राम के मध्य बहा जो
प्रेम भरा दरिया अपार था,
दूर हुए पर हृदय निकट थे
कान्हा-राधिका में प्यार था !
सत्यवान संग जा यमलोक
सावित्री की प्रीत अनोखी,
महल-दुमहले तज कर निकली
नहीं भक्त मीरा सी देखी !
ऐसे ऊँचे मानदंड हों
प्रेम दिवस तभी मने सार्थक,
मृत्यु भी न विछोह कर पाये
ऐसा हो उर अमर समर्पण !
Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-441632022468551682024-02-07T09:59:00.000+05:302024-02-07T09:59:47.424+05:30जीवन एक हवा का झोंका जीवन एक हवा का झोंका मधु से मधु भर लें अंतर में कुछ रंग चुरा लें कुसुमों से, अंबर से नीलापन निर्मल गह लें विस्तार दिशाओं से !मन हो जाये गतिमय नद साहरियाली दुनिया में भर दे, जीवन एक हवा का झोंका बन कर जिसे सुवासित कर दे !कदमों में विश्वास भरा हो हाथों में हो बागडोर भी, पलकों में नव स्वप्न भरे हों पूर्ण सत्य की इक ज्वाला भी !अपने पथ पर हो निशंक फिरAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-76658045572627373692024-01-31T10:44:00.002+05:302024-01-31T10:44:38.290+05:30कुछ दिन तो गुजारें गुजरात में प्रिय ब्लॉगर मित्रों, पिछले दिनों गुजरात की यात्रा का सुअवसर प्राप्त हुआ, यात्रा विवरण लिखने में समय लगेगा, सोचा, जो भाव अभी मन में ताजा हैं, उन्हें ही आकार दे दिया जाये, आपसे अनुरोध है, कविता पढ़ें और गुजरात देखने की प्रेरणा आपके भीतर भी जगी या नहीं, इस पर अपनी राय भी लिखें। कुछ दिन तो गुजारें गुजरात में पाषाण युग की बस्तियों के साथविश्व की प्राचीनतम सभ्यता का उद्गम स्थल&Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-52387581258600748922024-01-30T10:41:00.000+05:302024-01-30T10:41:00.562+05:30जल जल हम छोटे-छोटे पोखर हैं धीरे-धीरे सूख जाएगा जल भयभीत हैं यह सोचकर सागर दूर है पर भूल जाते हैं सागर ही बादल बनकर बरसेगा भर जाएँगे पुन:हम शीतल जल सेनदिया बन जल ही दौड़ता जाता है सागर की बाहों में चैन पाता है ! Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-55892406943339381952024-01-21T12:52:00.002+05:302024-01-21T12:52:53.062+05:30राम राम एक शब्द नहीं है राम न ही कोई विचार बाल्मीकि के मन का भाव जगत की वस्तु भी नहीं है तुलसी के परे है हर शब्द, भाव व विचार से एक अमूर्त, निराकार जिसने भर दिया है उत्साह और उमंग शांति और आनंद ख़ुशी कोई विचार तो नहीं एक अहसास है वैसे ही राम उनके हैं जो महसूस करते उन्हें अपने आसपास हैं हर घड़ी हर मुहूर्त से परे Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-29606686301159329122024-01-16T15:16:00.002+05:302024-01-16T15:16:41.909+05:30हर दिन नयी भोर उगती हैहर दिन नयी भोर उगती हैदिन भी सोया सोया गुजरा दु:स्वप्नों में बीती है रात, जाग जरा, ओ ! देख मुसाफ़िर प्रमाद लगाये बैठा घात !चाह अधूरी सर्प सी लिपटकर्मों की गठरी भी सिर पर, कदम थके हैं, भय अंतर में कैसे पहुँचेगा अपने घर !जीवन चारों ओर खिला है तू कूपों का बना मंडूक, जो भी कदम उठे सच्चा हो अबकी न बाज़ी जाये चूक !हर दिन नयी भोर उगती है जब भी जागो तभी सवेरा,Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-67617003142807338562024-01-15T11:07:00.000+05:302024-01-15T11:07:23.109+05:30पुनः अयोध्या लौटते रामपुनः अयोध्या लौटते रामसारे भूमण्डल में फैली रामगाथा में बसते राम, जन्मे चैत्र शुक्ल नवमी कोमर्यादा हर सिखाते राम !पैरों में पैजनियां पहने घुटनों-घुटनों घूमते राम, माँ हाथों में लिए कटोरीआगे आगे दौड़ते राम !गुरुकुल में आंगन बुहारते गुरू चरणों में झुकते राम, भाइयों व मित्रों को पहले निज हाथों से खिलाते राम !ताड़का सुबाहु विनाश किया यज्ञ Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-63138592012419238512024-01-12T19:11:00.001+05:302024-01-12T19:11:16.853+05:30जब अनंत को सांत बनाया जब अनंत को सांत बनाया त्रेता युग में प्रकटे थे वह मर्यादापुरुषोत्तम राम, युग-युग से भजता आया जग पावन अतीव मनोहर नाम !जब अनंत को सांत बनाया अवतार लिया महाविष्णु ने, किंतु राम रहे कहाँ सीमितभारत भू की सीमाओं में !राम नाम के मधुर जाप ने सारी दुनिया को गुंजाया, है हरि अनंत कथा अनंता युग-युग ने गीत यही गाया !जन्मस्थल पर सुंदर&Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-48789227650712314242024-01-10T10:44:00.005+05:302024-01-10T10:44:46.038+05:30एक लपट मृदु ताप भरे जो एक लपट मृदु ताप भरे जो बैंगनी फूलों की डाल सेफूल झर रहे झर-झर ऐसे, लहरा कर इक पवन झकोरा सहलाये ज्यों निज आँचल से !याद घेर लेती है जिसकी बनकर अनंत शुभ नील गगन, कभी गूंजने लगता उर में अनहद गुंजन आलाप सघन ! एक लपट मृदु ताप भरे जो हर लेती हृदय का संताप, सुधियाँ किसी अरूप तत्व की बनी रहतीं फिर भी अनजान ! सागर-लहर, गगन-मेघा सा नाता उस असीम से Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-28626584591584718502024-01-08T18:37:00.001+05:302024-01-08T18:37:24.951+05:30बूँद एक घर से निकली थी बूँद एक घर से निकली थी अंधकार में ठोकर खाते आँखें बंद किए चलते हैं, जाने कौन मोह में फँस कर अक्सर ख़ुद को ही छलते हैं !छोटी-छोटी इच्छाओं के बोझे तले व्यर्थ दबते हैं, सिर पर गठ्ठर लादे, जानेकब से बीहड़ पथ चलते हैं !अनजाने ही रह जाते वह अपने दिल की गहराई से, जीवन की संध्या आ जाती कान भरे हैं शहनाई से !सागर से मिल सकती थी जो मरुथल में दम Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-80917080144381636872024-01-03T11:09:00.001+05:302024-01-03T11:09:10.098+05:30कुसुमों में सुगंध के जैसाकुसुमों में सुगंध के जैसाराग नया हो ताल नयी हो कदमों में झंकार नयी हो, रुनझुन रिमझिम भी पायल की उर में करुण पुकार नयी हो !अभी जहाँ विश्राम मिला है बसे हैं उससे आगे राम, क्षितिजों तक उड़ान भर ले जो हृदय को पंख लगें अभिराम !अतल मौन से जो उपजा हो सृजित वही हो मधुर संवाद,उथले-उथले घाट नहीं अब गहराई में पहुंचे याद !नया ढंग अंदाज नया हो Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-24990455293887295782023-12-30T15:00:00.000+05:302023-12-30T15:00:04.356+05:30बीत गया एक और वसंतबीत गया एक और वसंतजाते हुए बरस का हर पल याद दिलाता सा लगता है,बीत गया एक और वसंतसपना ज्यों का त्यों पलता है !दस्तक दे नव भोर जतन हो स्वप्न अधूरा मत रह जाये, नये वर्ष में हर कोई मिल जीवन का गीत गुनगुनाये ! गली का हर कोना स्वच्छ हो गौरैया को दाना डालें, ख्वाब अधूरा जो वर्षों का अंजाम पर उसे पहुँचायें !दरियाओं को और न पाटें Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-55248922307339693522023-12-27T12:23:00.006+05:302023-12-27T12:24:27.784+05:30मन कहाँ ख़ाली हुआ है मन कहाँ ख़ाली हुआ है यह ग़लत है, वह ग़लत है ग़लत है सारा जहाँ, बस सही हम जा रहे, यह राह रोके क्यों खड़ा ?क्यों नहीं उड़ते गगन में देर अब किस बात की, थी तैयारी इस पल की बात क्या फिर राज की !ढेर बोझा है दिलों पर अनगिनत शिकवे छिपे, मन कहाँ ख़ाली हुआ है तीर कितने हैं बिंधे !आग भी जलती, वहीं है प्रीत का दरिया छिपा, जाग कोई देखता, कब&Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com10