tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post1690054989506175799..comments2024-03-29T09:56:47.729+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: जाने किसने निज वैभव सेAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-79168809653851403892015-08-07T13:07:03.248+05:302015-08-07T13:07:03.248+05:30बहुत बहुत आभार कुलदीप जी ! बहुत बहुत आभार कुलदीप जी ! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-13053880882462446582015-08-07T13:06:44.318+05:302015-08-07T13:06:44.318+05:30अनुपमा जी, कविता जी, कैलाश जी व रचना जी आप सभी का ...अनुपमा जी, कविता जी, कैलाश जी व रचना जी आप सभी का स्वागत व आभार ! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-57150698745551960322015-08-07T13:05:57.152+05:302015-08-07T13:05:57.152+05:30यशोदा जी, बहुत बहुत आभार ! यशोदा जी, बहुत बहुत आभार ! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-48013574671994243572015-08-05T19:20:20.968+05:302015-08-05T19:20:20.968+05:30मन जो बिखरा-बिखरा सा था
उसे समेट पिरोई माला,
जाने ...मन जो बिखरा-बिखरा सा था<br />उसे समेट पिरोई माला,<br />जाने किसने निज वैभव से<br />प्रीत के घूँट पिलाकर पाला !<br />....सच में बहुत आवश्यक है मन को समेटना उस प्रिय से मिलने को...बहुत सुन्दर और गहन गीत..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-16037606324297321402015-08-04T20:20:25.451+05:302015-08-04T20:20:25.451+05:30मन जो बिखरा-बिखरा सा था
उसे समेट पिरोई माला,
जाने ...मन जो बिखरा-बिखरा सा था<br />उसे समेट पिरोई माला,<br />जाने किसने निज वैभव से<br />प्रीत के घूँट पिलाकर पाला !<br /><br />सुंदर भाव. सुंदर गीत.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-2558644825996092602015-08-04T13:12:48.261+05:302015-08-04T13:12:48.261+05:30नहीं जानता शायद खुद भी
रस की गगरी कौन पिलाये,
रहे ...नहीं जानता शायद खुद भी<br />रस की गगरी कौन पिलाये,<br />रहे ठगा सा, भर कर आंचल<br />नेह की बरखा में नहलाये !<br />...बहुत सुन्दर कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-27827873248804274992015-08-03T17:07:04.996+05:302015-08-03T17:07:04.996+05:30बहुत सुंदर रचना !!सकारात्मकता से लबरेज़ ...!!बहुत सुंदर रचना !!सकारात्मकता से लबरेज़ ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-87887710298127348512015-08-03T12:31:41.944+05:302015-08-03T12:31:41.944+05:30वाह...
मन जो बिखरा-बिखरा सा था
उसे समेट पिरोई माला...वाह...<br />मन जो बिखरा-बिखरा सा था<br />उसे समेट पिरोई माला,<br />उत्तम..<br />कितना मुश्किल है<br />बिखरे मन को समेटना<br />देर से दिखी ये रचना<br />कल का अंक अभी शिड्यूल की हूँ<br />बुधवार के लिए अलग से सूचित करेंगे कुलदीप भाई<br /><br />सादरyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.com