tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post4421134076089391722..comments2024-03-29T09:56:47.729+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: जग में जितना ढूँढा उसकोAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-51633395506032187132011-12-15T09:27:07.893+05:302011-12-15T09:27:07.893+05:30वन्दना जी, यशवंत जी, आनंद जी, सुनील जी, राजपूत जी,...वन्दना जी, यशवंत जी, आनंद जी, सुनील जी, राजपूत जी, संजय जी और संगीता जी, आप सभीका अभिनन्दन और आभार!Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-79491537290492029852011-12-14T18:35:05.151+05:302011-12-14T18:35:05.151+05:30भुला दिया है जिसको हमने,
वह अपना ही होगा विस्तार
य...भुला दिया है जिसको हमने,<br />वह अपना ही होगा विस्तार<br />याद आ जाये जिस पल उसकी ,<br />शायद मिल जायेगा प्यार !<br />बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , बधाईSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-10915020178990737932011-12-14T14:43:43.841+05:302011-12-14T14:43:43.841+05:30जग में जितना ढूँढा उसको
कहीं न पाया अविरत प्यार, ...जग में जितना ढूँढा उसको<br />कहीं न पाया अविरत प्यार, <br />होश जगे तो भीतर झाँकें,<br />सुना जहाँ है इक भंडार !....<br />....<br />हाँ सुना तो मैंने भी है दी...और अब देखते हैं आगे की अभी ये भंडार कितनी दूर है ...एकला चलो एकला चलो एकला चलो रे !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-7637227448946072142011-12-14T14:15:17.128+05:302011-12-14T14:15:17.128+05:30जग में जितना ढूँढा उसको
कहीं न पाया अविरत प्यार, ...जग में जितना ढूँढा उसको<br />कहीं न पाया अविरत प्यार, <br />होश जगे तो भीतर झाँकें,<br />सुना जहाँ है इक भंडार <br />इंसान मृगतृष्णा में भटक रहा है कभी अपने अन्दर छुपे रहस्य को देख ही नहीं पता <br />बहुत सुन्दर रचनाRajputhttps://www.blogger.com/profile/08136572133212539916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-16720322606284645142011-12-14T12:52:15.366+05:302011-12-14T12:52:15.366+05:30आज की इस रचना की जितनी तारीफ़ की जाये कम है………हम म...आज की इस रचना की जितनी तारीफ़ की जाये कम है………हम मुडना ही तो नही जानते वरना कुछ भी कहीं ढूँढने की जरूरत नही है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-64939393756358133172011-12-14T11:52:36.925+05:302011-12-14T11:52:36.925+05:30भुला दिया है जिसको हमने,
वह अपना ही होगा विस्तार
य...भुला दिया है जिसको हमने,<br />वह अपना ही होगा विस्तार<br />याद आ जाये जिस पल उसकी ,<br />शायद मिल जायेगा प्यार !<br />आपकी रचना बहुत कुछ सिखा जाती है...संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-20265607829887782222011-12-14T10:21:22.691+05:302011-12-14T10:21:22.691+05:30जग में जितना ढूँढा उसको
कहीं न पाया अविरत प्यार, ...जग में जितना ढूँढा उसको<br />कहीं न पाया अविरत प्यार, <br />होश जगे तो भीतर झाँकें,<br />सुना जहाँ है इक भंडार !<br /><br />उसको पाने के लिए स्वयं में ही झांकना होगा .. बहुत सुन्दर प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com