tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post902999712543736344..comments2024-03-29T09:56:47.729+05:30Comments on मन पाए विश्राम जहाँ: उसी मूल से मन आया हैAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-3980389754020087242021-05-10T16:02:53.409+05:302021-05-10T16:02:53.409+05:30स्वागत व आभार !स्वागत व आभार !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-74009543849973032272021-05-10T15:12:44.167+05:302021-05-10T15:12:44.167+05:30बहुत ही सुन्दरबहुत ही सुन्दरOnkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-85744647491522377392021-05-09T11:31:29.151+05:302021-05-09T11:31:29.151+05:30कविता के मर्म को समझ कर आपने पंत की अनुपम पंक्ति क...कविता के मर्म को समझ कर आपने पंत की अनुपम पंक्ति को साझा किया है, हृदय से आभार प्रतिभा जी !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-8668062092741961472021-05-09T11:30:03.135+05:302021-05-09T11:30:03.135+05:30स्वागत व आभार संगीता जी, यह दिख रहा है कण-कण में, ...स्वागत व आभार संगीता जी, यह दिख रहा है कण-कण में, पर आपका इशारा आज के भीषण माहौल की तरफ है शायद, किन्तु प्रकृति आज भी हमें माँ की तरह पोषित कर रही है। Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-19649418681436171552021-05-09T11:27:44.142+05:302021-05-09T11:27:44.142+05:30स्वागत व आभार प्रिय जिज्ञासा जी !स्वागत व आभार प्रिय जिज्ञासा जी !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-66286060798599668032021-05-09T05:42:23.286+05:302021-05-09T05:42:23.286+05:30एकदम सटीक चित्रण,वही परम चेतना विभिन्न रूप धर कर अ...एकदम सटीक चित्रण,वही परम चेतना विभिन्न रूप धर कर अवतरित होती है.पंत ने यों वर्णित किया है -<br />'वही प्रज्ञा का सत्य स्वरूप हृदय में बनता प्रणय अपार , <br />लोचनों में लावण्य अनूप ,लोक सेवा में शिव अविकार.'<br /><br />वही सौन्दर्य विभिन्न रूपों में जीवन को रमणीय बनाता है.<br />सुन्दर सृजन ! <br /> प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-75000375024733387062021-05-08T18:03:24.159+05:302021-05-08T18:03:24.159+05:30वही चेतना सुंदर बनकर
बिखर गयी कण-कण में जग के,
...वही चेतना सुंदर बनकर <br /><br />बिखर गयी कण-कण में जग के, <br /><br />सत्यम शिवम सुंदरम् की ही <br /><br />अभिव्यक्ति हो बस जीवन में ! <br /><br /><br />काश कहीं तो दिखे ये सत्यम शिवम् सुन्दरम संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6474592890557237793.post-38009495999504941772021-05-08T17:06:16.855+05:302021-05-08T17:06:16.855+05:30पूरी रचना प्राकृतिक सुंदरता तथा जीवन दर्शन के सुंद...पूरी रचना प्राकृतिक सुंदरता तथा जीवन दर्शन के सुंदर रसों से भीगी हुई ।बहुत शुभकामनाएं आपको आदरणीय दीदी ।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.com