शुभ दीपक एक जलाना है
छँट जाएगा घोर अँधेरा
उहापोह, उलझन का डेरा,
थोड़ा सा स्नेह जगाना है
शुभ दीपक एक जलाना है !
एक से फिर अनेक जल सकते
ज्योति की आकर बन सकते,
अनथक पथ चलते जाना है
मग दीपक एक जलाना है !
फूल खिलाये हैं जिसने नित
नीरवता गूँजे जिसके मित,
उसका इक गीत सुनाना है
यश दीपक एक जलाना है !
करुणा, प्रेम, तपस, प्रार्थना
दिलों में सोयी मधुर भावना,
हौले से पुनः जगाना है
जय दीपक एक जलाना है !
दीप जल रहे जो नयनों में
सुहास झरे मृदुल बयनों में,
ऐसा इक राग सुनाना है
हित दीपक एक जलाना है !
वचन कभी जो शर से चुभते
निज अंतर का भी बल हरते,
ना ऐसा रुख अपनाना है
मधु दीपक एक जलाना है !
बहुत बहुत आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार रंजू जी!
हटाएंदीप जल रहे जो नयनों में
जवाब देंहटाएंसुहास झरे मृदुल बयनों में,
ऐसा इक राग सुनाना है
हित दीपक एक जलाना है !
सुंदर भाव लिए सुंदर सृजन।
स्वागत व आभार कुसुम जी!
हटाएंकरुणा, प्रेम, तपस, प्रार्थना
जवाब देंहटाएंदिलों में सोयी मधुर भावना,
हौले से पुनः जगाना है !
जय दीपक एक जलाना है ! - खूबसूरत कविता की श्रेष्ठतम पंक्तियाँ! इन पंक्तियों के लिए अंतस्तल से साधुवाद आदरणीया!
स्वागत व आभार गजेंद्र जी!
हटाएंदीप जल रहे जो नयनों में
जवाब देंहटाएंसुहास झरे मृदुल बयनों में,
ऐसा इक राग सुनाना है
हित दीपक एक जलाना है !..
बहुत सुंदर सकारात्मक भाव से परिपूर्ण उत्कृष्ट रचना।
स्वागत व आभार जिज्ञासा जी!
हटाएं