मन
नींदों के पनघट पे
यादों को बुनता है,
ख़्वाबों के झुरमुट में
शब्द पुष्प चुनता है !
भावों की माला रच
ताल में पिरोता है,
अर्पित कर चरणों में
अश्रु में भिगोता है !
जाने क्या पाएगा
गीत रोज़ गाता है,
तारों से बात करे
चंदा संग जगता है !
किसकी वह राह तके
किसको पुकारे सदा,
शब्दों की नाव बना
मन, सागर तिरता है !