मधुर अमराई में बदले
थामता है हर घड़ी वह
जो बरसता प्रीत बनकर,
खोल देता द्वार दिल के
फिर सरसता गीत बन कर !
हर नुकीले रास्ते को
मृदु गोलाई में बदले,
कंटकों से जो भरी थी
मधुर अमराई में बदले !
मरहम रखता दर्द हरता
हर कदम पर साथ देता,
पोंछ देता दुःख इबारत
या नये से अर्थ देता !
बूंद बनकर जो मिला था
सिन्धु सा वह बढ़े आता,
रोशनी की इक किरण था
बन उजाला चढ़े आता !
दूर से था जो पुकारे
बस गया है दिल में आके,
डाल डेरा और डंडा
पा गया हो ज्यों ठिकाने !
बूंद बनकर जो मिला था
जवाब देंहटाएंसिन्धु सा वह बढ़े आता,
रोशनी की इक किरण था
बन उजाला चढ़े आता !
भावपूर्ण सहज और गहन अभिव्यक्ति .... !!
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
थामता है हर घड़ी वह
जवाब देंहटाएंजो बरसता प्रीत बनकर,
खोल देता द्वार दिल के
फिर सरसता गीत बन कर !
प्रीत की रीत निराली मतवाली
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबूंद बनकर जो मिला था
जवाब देंहटाएंसिन्धु सा वह बढ़े आता,
रोशनी की इक किरण था
बन उजाला चढ़े आता !
.....बहुत सही कहा आपने .... बेहतरीन अभिव्यक्ति !
रंजना जी, वीरू भाई, ओंकार जी, संजय जी तथा यशवंत जी आप सभी का स्वागत व आभार !
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