मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

सोमवार, जून 30

नीलगगन सा जो असीम है

›
नीलगगन सा जो असीम है शब्दों से आहत होता मन  शब्दों की सीमा कब जाने, शब्द जहाँ तक जा सकते हैं  मात्र वही स्वयं को जाने !  नीलगगन सा जो असीम ह...
8 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, जून 26

अब कैसी दूरी अंतर में

›
अब कैसी दूरी अंतर में जान लिया जब भेद हृदय का  अब कैसी दूरी अंतर में,  अंतरिक्ष में ग्रह घूमें ज्यों  चंद्र-सूर्य अपने अंबर में ! उड़ना चाहे...
10 टिप्‍पणियां:
रविवार, जून 22

सपना और संसार

›
सपना और संसार   उनकी सांसें आपस में घुल गयी हैं मन भी हर क्षण जुड़ता है और अब पकड़ इतनी मजबूत हो गयी है कि दुनिया की बड़ी से बड़ी तलवार भी इसे क...
13 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, जून 19

ऊर्जा

›
ऊर्जा  ऊर्जा बहुत है, कर्म  कम  ऊर्जा अहंकार बन जाएगी  ऊर्जा कम है, कर्म अधिक  ऊर्जा तनाव बन जाएगी  ऊर्जा अति है कर्म भी अति  ऊर्जा संतुष्टि...
10 टिप्‍पणियां:
सोमवार, जून 16

कैसे मन की गागर भरती

›
कैसे मन की गागर भरती कितने पल ख़ाली बीते हैं  अक्सर हम यूँ ही रीते हैं,  भर सकते थे उर उस सुख से  जिसकी ख़ातिर ही जीते हैं ! किंतु नज़रें सद...
8 टिप्‍पणियां:
बुधवार, जून 4

अपना सा दर्द

›
अपना सा दर्द  फिर वही झूला, वही ढलती हुई शाम है कई दिनों बाद मिली दिल को फुर्सत, आया आराम है आसमां चुप है सलेटी सी चादर ओढ़े पेड़ खामोश है, हव...
13 टिप्‍पणियां:
सोमवार, जून 2

भिगो गई है प्रीत की धारा

›
भिगो गई है प्रीत की धारा  दिल की गहराई में बसता  सत्य एक ही, प्रेम एक ही,  दिया किसी ने, चखा किसी ने सुख-समता का स्वाद एक ही ! जैसे जल नदिया...
7 टिप्‍पणियां:
शनिवार, मई 31

कामना का अभाव

›
कामना का अभाव  जैसे धुएँ से ढकी रहती है अग्नि  और धूल से दर्पण  वैसे ही ढक जाती है चेतना  कामना के आवरण से  उजागर नहीं होने देती सत्य  अनावृ...
9 टिप्‍पणियां:
बुधवार, मई 28

चुनाव हमारा है

›
चुनाव हमारा है कल हम हो जायेंगे विदा  और परसों  लोग हमें भूल जायेंगे   इस तरह  जैसे कि कभी था ही नहीं  अस्तित्त्व हमारा इस दुनिया में  हमार...
11 टिप्‍पणियां:
सोमवार, मई 26

चुनाव

›
चुनाव   गा रहे पंछी   बह रही हवा  घूम रही धरा    हो रहा अपने आप सब कुछ ! चल रही श्वास    बढ़ रही उम्र    दौड़ रहा मन    हो रहा अपने आप सब कु...
3 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, मई 22

देवी कवच

›
देवी कवच  शैलपुत्री सी अडिग हो  नित ब्रह्म में विचरण करे,  चन्द्र ज्योति निनाद घंटा  शुभ चेतना धारण करे ! स्कन्द जैसी वीरता हो  कात्यायनी सी...
4 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, मई 15

कृतज्ञता का फूल

›
कृतज्ञता का फूल  समय से पूर्व और आवश्यकता से अधिक  जब मिलने लगे  जो भी ज़रूरी है  तो मानना चाहिए कि  ऊपरवाला साथ है  और कृपा बरस रही है ! कृ...
12 टिप्‍पणियां:
सोमवार, मई 12

सरल और तरल

›
सरल और तरल  चीजें जैसी हैं, वैसी हैं  हम उन्हें खींच कर  बनाना चाहते हैं  जैसी हम उन्हें देखना चाहते हैं  यही खिंचाव तो तनाव है  तनाव भर देत...
9 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.