मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

बुधवार, अक्टूबर 22

जीवन एक सुवास अनोखी

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जीवन एक सुवास अनोखी  ह्रदय शुद्ध हो  भाव विमल हों  मन भी खाली-खाली अपना  जीवन जैसे कोई लीला  या फिर भोर काल का सपना ! चाह न जागे  लौ जब लागे...
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मंगलवार, अक्टूबर 21

शुभ दीपावली

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शुभ दीपावली  दीप जले आशा के  अंतर अभिलाषा के,  जगमग यह जगत हुआ  भेद मिटे भाषा के ! ख़ुशियों की लड़ियों में  रंगीं फुलझड़ियों में,  दिल ही ज्...
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शुक्रवार, अक्टूबर 17

उड़ें गगन में मुक्त हुए से

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उड़ें गगन में मुक्त हुए से निज नूतन नीड़ की ख़ुशी में  असली घर भी याद रहेगा ? आज नहीं तो कल जाना है  ‘जाओ’ यह संसार कहेगा ! ह्रदयहीन तब लगता...
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बुधवार, अक्टूबर 15

मुक्ति और पीड़ा

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मुक्ति और पीड़ा  नहीं है ज्ञात, कुछ भी  अज्ञात बहुत भारी है  सृष्टि चला रहा है कौन  किसने की प्रलय की तैयारी है?  कौन पीड़ा के बीज बोता  कौन...
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रविवार, अक्टूबर 12

क्योंकि तुम ख़ुशी के परमाणुओं से बने हो

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क्योंकि तुम ख़ुशी के परमाणुओं से बने हो  जिसमें प्रेम के परमाणु भी हैं  या वे बदल जाते हैं प्रेम में  कई आयामी हैं वे  जैसे प्रकाश की एक श्व...
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गुरुवार, अक्टूबर 9

देवियाँ

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देवियाँ  सीता, धरा की पुत्री  भूमिजा है  भूमि सिखाती है, कर्म का वर्तन  ! सहज ही आता है  उनके वंशजों को  भू, जल, और पर्वतों का   संरक्षण ! ल...
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सोमवार, अक्टूबर 6

चक्र से बाहर

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चक्र से बाहर  आने दो यादों के बादल  छाने दो भावों के बादल,  वर्तमान का नभ अनंत है  तिरने दो शब्दों के बादल ! उड़ें हवा संग, हों काफ़ूर  बहकर...
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शुक्रवार, अक्टूबर 3

तू ही भरे रंग माया के

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तू ही भरे रंग माया के भाव सभी अर्पित करते हैं  प्रेम और करुणा जो तुझसे,  पल-पल इस जग में झरते हैं  कष्ट हमारा हर हरते हैं ! मधुर तृप्ति का भ...
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बुधवार, अक्टूबर 1

देवी माँ

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देवी माँ  अनोखी हैं  देवी की कथाएँ  हर तर्क से परे  मन को विस्मय से भर देने वाली ! देवी के मंत्र विचित्र हैं  हर अर्थ से परे  मन को ठहरा देन...
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सोमवार, सितंबर 29

सजगता

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सजगता  छुपे हुए हैं भेड़िये छद्म रूप में  जो रोकते हैं कदमों को  आगे बढ़ने से  नहीं काम आते मोह से बंधे जन  सहायक होता है कोई अन्य ही  अस्ति...
10 टिप्‍पणियां:
शनिवार, सितंबर 27

भरोसा

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भरोसा   कहीं विश्वास की कमी  कहीं अंधविश्वास  दोनों ही मंज़िल तक पहुँचने नहीं देते ! जिस पर विश्वास नहीं किया  वह पीछे छूट जाता है किया जिस ...
10 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, सितंबर 25

हिमालय की यात्रा के बाद

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हिमालय की यात्रा के बाद  पर्वतों को छूकर हम लौट आये हैं  स्वप्न जो संजोये थे  पूर्ण कर उन्हें यादों में समेट लाये हैं ! कदम-कदम पर  भय की हा...
12 टिप्‍पणियां:
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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