मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

शुक्रवार, जुलाई 1

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बेबस हृदय बना है दर्शक आज समाज में एक अविश्वास का वातावरण फैला है, सदियों से जो साथ रहते आये थे, उनमें दूरियाँ बढ़ रही हैं, कितने प्रश्न हैं ...
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गुरुवार, जून 30

खुशबू निशानी सी

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खुशबू निशानी सी जाने कहाँ से आ रही खुशबू रुहानी सी ! तन मन डुबोए जा रही खुशबू सुहानी सी ! मदमस्त यह आलम हुआ खुशबू  अजानी सी ! नासपुटों में स...
सोमवार, जून 27

दीवाना मन समझ न पाए

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दीवाना मन समझ न पाए जीवन इक लय में बढ़ता है जागे भोर साँझ सो जाये, कभी हिलोर कभी पीड़ा दे जाने क्या हमको समझाये ! नए नए आविष्कारों से एक ओर ...
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बुधवार, जून 22

नदिया ज्यों नदिया से मिलती

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नदिया ज्यों नदिया से मिलती    हर भाव तुझे अर्पित मेरा  हर सुख-दुःख भी तुझसे संभव,  यह ज्ञान और अज्ञान सभी  तुझसे ही प्रकटा सुंदर भव ! तू बुल...
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शनिवार, जून 18

'है' एक अपार अचल कोई

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'है' एक अपार अचल कोई गर ‘है’ में टिकना आ जाए   ‘नहीं’ का कोई सवाल नहीं,  तृण भर भी कमी कहाँ ‘है’ में  ‘नहीं’ उलझन की मिसाल वहीं ! ...
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गुरुवार, जून 16

भेद - अभेद

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भेद - अभेद  यह चाह कि कोई देखे  फूल को खिलने नहीं देगी  वह तो अच्छा है कि  किसी फूल को यह चाह नहीं होती  बड़ा फ़ासला है तेरे मेरे बीच  इसी च...
14 टिप्‍पणियां:
शनिवार, जून 11

अनायास ही

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अनायास ही  अनंत की उड़ान भर रहा   मन का पंछी अनायास ही  कृपा का बादल बरस रहा हो  जैसे नभ से बिन प्रयास ही  कोई अद्भुत खेल चल रहा  शांति बिछी ...
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शुक्रवार, जून 10

भीतर जो भी भाव सृजन के

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भीतर जो भी भाव सृजन के  जलकर बाती तम हरती है  कवि ! तू अपनी ज्योति प्रखर कर,  अँधियारा घिर आया जग में  तज प्रमाद निज दृष्टि उधर कर ! श्रम से...
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बुधवार, जून 8

छुए जाता है पवन ज्यों

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छुए जाता है पवन ज्यों  ज़िंदगी पल-पल गुजरती  रूप निज हर क्षण बदलती,   जैसे मिले, स्वीकार लें  देकर प्रथम, अधिकार लें !  व्यर्थ ही हम जूझते ह...
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सोमवार, जून 6

उसी आकाश को लाके ओढ़ाया है

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उसी आकाश को लाके ओढ़ाया है  चाहने वालों ने ही कर के दिखाया है  पत्थरों में भी भगवान जगाया है  यूँ तो हर जगह समायी है नमी, लेकिन  बादलों ने ह...
10 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, जून 3

गीत समर्पण का

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  गीत समर्पण का  हमारी चाहतों में नहीं था प्यार  कभी लाघें नहीं मंदिरों के द्वार  दूर से ही देखते रहे  लोगों का आना-जाना  अभी तो हमें था अपन...
14 टिप्‍पणियां:
बुधवार, जून 1

पल पल इसको वही निखारे

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पल पल इसको वही निखारे दी उसने ही पीर प्रेम की  दिलों में भर देता विश्वास,  उड़ने को दो पंख दिए हैं दिया अपार  अनंत आकाश ! वही बढ़ाये इन कदमों...
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सोमवार, मई 30

तथागत ने कहा था

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तथागत ने कहा था ऐसा है, इसलिए वैसा होगा  उससे बचना है, तो इसे तजना होगा  तथागत ने कहा था ! पल-पल बदल रहा जगत जहाँ जुड़ी है हर वस्तु दूसरे से...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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