नया साल
घड़ी
की सुईयां जब आधी रात को मिलेंगी
विदा
हो जायेगा वक्त का एक वह टुकड़ा
जिसे
नाम दिया है हमने ‘दो हजार पन्द्रह’
...और
सुगबुगा कर आँख खोलेगा एक नया कालखंड
दिखाकर
अपना सुनहरा मुखड़ा !
नये
वर्ष में होंगे नए दिन और नयी रातें
नये
सूर्योदयों और नव चन्द्रमा से होंगी मुलाकातें
आज
तक नहीं घटा सृष्टि में
नया
वर्ष उन दिनों, हफ्तों और महीनों को घटायेगा
नये
वर्ष में हर फूल पहली बार मुस्कुराएगा
नया
इरादा फिर क्यों न करें
नया
वादा भी अपने आप से
नये
संकल्प कर मनों में
नव
शक्ति भरें शुभ जाप से !
पुरानी
पर स्वयं के लिए नव, संस्कृति से पहचान करें
जिनसे
नहीं मिले बरसों से
उन
इतिहास के पन्नों से जान-पहचान करें
नया
परिचय हो अपने पुराने देश से
डाल
आँखों में आँख मिलें चहूँ परिवेश से
बरसों
से भूले हैं काम वे नये करें
नये
कुछ मित्र बनें, नये कुछ रंग भरें
आदतों
में कैद जो जीवन घट रीत रहा
नये
संकल्प भर इसमें नव राग भरें !
बीत
गया वक्त जो यादों में बोझ बना
रख
दें उतार पल में
अंतर
को खाली करें
नये
स्वप्नों का करने स्वागत
लायेगा जो वर्ष आगत
नव
वर्ष कुछ नया तो लायेगा
जीवन
कुछ और ढंग से गुनगुनाएगा
धरा
उसी तरह चक्कर लगाएगी सूर्य का
पर
सूर्य कुछ और वृद्ध हो जायेगा
नये
इरादों के पहन कवच
क्यों
न उतरें समय की इस भंवर में
नये
वर्ष में सराबोर हो जाएँ
उत्साह
और उमंग की लहर में !