अभी समय है नजर मिलाएं
नया वर्ष आने से
पहले
नूतन मन का
निर्माण करें,
नया जोश, नव बोध भरे उर
नये युग का
आह्वान करें !
अभी समय है नजर
मिलाएं
स्वयं, स्वयं को
जाँचें परखे,
झाड़ सिलवटों को
आंचल से
नयी दृष्टि से जग
को निरखे !
रंजिश नहीं हो
जिस दृष्टि में
नहीं भेद कुछ
भले-बुरे का,
निर्मल आज नजर जो
आता
कल तक वह धूमिल
हो जाता !
पल-पल बदल रही है
जगती
नश्वरता को कभी न
भूलें,
मन उपवन हो रिक्त
भूत से
भावी हित मन माटी
जोतें !
कर डालीं थी कल
जो भूलें
उनकी जड़ें मिटा
दें उर से,
नव पौध प्रज्ञा
की उगायें
नव चिंतन से
सिंचन कर के !
बने-बनाये राजपथ
छोड़
नूतन राहों का
सृजन करे,
नया दौर बस आने
को है
मन शुभता का ही
वरण करे !