एक नगमा जिन्दगी का
एक दरिया
या समन्दर
बह रहा जो प्रीत बनकर,
बाँध मत बाँधें तटों पर
उमग जाये छलछलाकर !
एक प्यारी सी हँसी भी
कैद है जो कन्दरा में,
कसमसाती खुदबुदाती
बिखर जाएगी जहाँ में !
एक नगमा जिन्दगी का
शायराना इक फसाना,
दिलोबगिया में दबा जो
बीज महके बन तराना !
एक जागी रात आये
ख्वाब नयनों में सजाये,
दूर से आती सदा को
ला निकट कुहु गीत गाये !
एक नर्तन आत्मा का
ढोल की थापें अनूठी,
बाल दे अनुपम उजाला
बाँसुरी, वीणा की
ज्योति