उसको खबर सभी की
खोया नहीं है कोई भटका नहीं
है राह
अपने ही घर में बैठा बस
घूमने की चाह
जो दूर से भी दूर और पास से
भी पास
ऐसा कोई अनोखा करता है दिल
में वास
उसको खबर सभी की जागे वह हर
घड़ी
कोई रहे या जाये बाँधे नहीं
कड़ी
इक राज आसमां सा खुलता ही
जा रहा
वह खुद ही बना छलिया खुद को
सता रहा
नजरों से जो बिखरता उसका ही
नूर है
कहता दीवाना दिल वह कितना
दूर है
कोई फूल फूल जाकर मधुरस
बटोरता है
मीठी सी इक डली बन वह राह
जोहता है