शुक्रवार, अक्तूबर 15

विजयादशमी


विजयादशमी 


आज विजयादशमी है !

आज भी तो रावण के पुतले जलेंगे,

क्या वर्ष भर हम रावण से मुक्त रहेंगे ?

नहीं,...तब तक नहीं

जब तक, दस इन्द्रियों वाले मानव का

विवेक निर्वासित किया जाता रहेगा,

और अहंकार

बुद्धि हर ले जाता रहेगा,

अब सीता राम का मिलन होता ही नहीं

यदि होता तो राष्ट्र आतंक के साये में न जीते

 विकास के नाम पर रसायन युक्त अन्न 

और हवा के नाम पर जहर न पीते

न होती विषमताएं समाज में

आखिर कब घटेगा दशहरा हमारे भीतर?

कब ?

तभी न, जब

विवेक का साथ देगा

वैराग्य 

दोनों प्राण के जरिये

बुद्धि  को मुक्त करेंगे

तब होगा रामराज्य

जर्जर हो यह तन, बुझ जाये मन

उसके पहले

जला डालें अपने हाथों

अहंकार के रावण, मोह के  कुम्भकर्ण

लोभ के मेघनाथ भी

उसी दिन होगी सच्ची विजयादशमी !

7 टिप्‍पणियां:

  1. जला डालें। आज का दिन इसीलिए है। सार्थक प्रेरणा।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१६ -१०-२०२१) को
    'मौन मधु हो जाए'(चर्चा अंक-४२१९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या वर्ष भर हम रावण से मुक्त रहेंगे ?
    नहीं,...तब तक नहीं
    जब तक, दस इन्द्रियों वाले मानव का
    विवेक निर्वासित किया जाता रहेगा,
    और अहंकार!
    बुद्धि हर ले जाता रहेगा,
    महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती हुई बहुत ही उम्दा रचना!

    जवाब देंहटाएं