जीवन - एक यात्रा
सुना है
स्वयं से स्वयं तक की
यात्रा का नाम है जीवन !
क्या स्वयं से भरे मन को
स्वयं से ख़ाली करने की
यात्रा का नाम भी ?
अथवा वास्तविक स्वयं से रिक्त मन से
मायावी स्वयं को हटाने का नाम !
और मायापति को बिठाने का भी ?
या फिर स्वयं जो जानकार बना फिरता है
उसे अज्ञानी बनाने की यात्रा का ?
जीवन एक सीमित भाव से
असीम में प्रवेश की यात्रा भी तो है !
कुछ होने से
सब कुछ होने की
जो कुछ न होने से गुजर कर ही
सम्पूर्ण की जाती है !
सुंदर
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-2-22) को "प्यार मैं ही, मैं करूं"(चर्चा अंक 4348)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
यात्रा का नाम है जीवन
जवाब देंहटाएंमन में गहरे तक उतरती
सुंदर रचना
बधाई
जीवन एक सीमित भाव से
जवाब देंहटाएंअसीम में प्रवेश की यात्रा भी तो है !
वाह! बहुत ही सुन्दर रचना 💐
बहुत सुंदर रचना,अनिता दी।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर!!
जवाब देंहटाएंदर्शन से युक्त रचना।
जवाब देंहटाएंस्वयं से मुक्त हो स्व को खोज लेना यात्रा भर है लक्ष्य गर सिद्धत्व हो तो ।
वैसे लक्ष्य भी स्व को पहचानते ही स्पष्ट हो जाता है।
सुंदर चिंतन।
स्वयं को लक्ष्य बनाना मिलना छोड़ देना, गुम हो जाना ...
जवाब देंहटाएंबहुत गहरे सोच से उपजी रचना ...
ज्योति खरे जी, मनीषा जी, ज्योति जी, हर्ष जी, दिगम्बर जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंसुंदर जीवन संदर्भ ।
वर्तुलाकार ही तो है जीवन यात्रा... स्वयं से स्वयं तक।
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