मन पाए विश्राम जहाँ
नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
शुक्रवार, सितंबर 7
कौन जाने
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कौन जाने कविता क्या है उसका भविष्य क्या है कौन उलझता है इन प्रश्नों में जब की जीवन का ही पता नहीं कौन रख गया हमें इक्कीसवीं स...
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तू अंतर को प्रेम से भर ले
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तू अंतर को प्रेम से भर ले व्यर्थ ही तू क्यों चिंता करता तेरे लिए तो मैं हूँ ना, तू अंतर को प्रेम से भर ले कुछ अप्राप्य रहेग...
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सोमवार, सितंबर 3
कवयित्री शन्नो अग्रवाल का काव्य संसार-खामोश ख़ामोशी और हम में
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प्रिय ब्लॉगर साथियों , मैं कोई समीक्षक नहीं हूँ, मुझे खामोश ख़ामोशी और हम की कवितायें अच्छी लगीं, जो अपने होते हैं उनके साथ हम अपना सुख ...
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गुरुवार, अगस्त 30
चंदा ज्यों गागर से ढलका
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चंदा ज्यों गागर से ढलका खाली है मन बिल्कुल खाली एक हाथ से बजती ताली, चेहरा जन्म पूर्व का जैसे झलक मृत्यु बाद की जैसे ! ...
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मंगलवार, अगस्त 28
वीना श्रीवास्तव जी का काव्य संसार - खामोश ख़ामोशी और हम में
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हिंदी दिवस पर जन्मी वीना श्रीवास्तव खामोश खामोश और हम की अगली कवयित्री हैं. वर्तमान में रांची में रहने वाली वीना जी स्वतंत्र लेखन करती ...
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