बुधवार, नवंबर 27

उसकी यात्रा

उसकी यात्रा



फिर लौट आया है मन  
बियाबान जंगलों में बसे गाँव में
जहाँ आबादी के नाम पर
विचारों के झुंड हैं
ऊंचे दरख्तों को चूमते
पर्वतों पर चढ़ते
 आस-पास को छूते हुए चलते
कुछ हसीन विचार.. कुछ गमगीन विचार भी
जहाँ प्रातः होते ही सूर्य उगता है
 देख सकता है मन
सात तालों से बंद कमरे में भी
सूरज की लालिमा
बादलों के बदलते रंग
 जहाँ रोज रात को चाँद निकलता है
 झरनों, नदियों, नालों पर किरणों की अठखेलियाँ
देख सकता है
रेड स्क्वायर के चारों ओर लिपटी धूप में
पंछियों को भी
सोचें जितनी हसीन होती हैं
जीना उतना ही आसान
आस-पास की कड़वाहट
छू भी नहीं पाती
जब मन मीठे दरिया के समीप होता है
कभी घनी अँधेरी गुफा में भटकता
 कभी सीमा पार कर जाता
कभी किसी गहरे समुंदर को पार करता
 कभी दूर आकाश से उतरते
पैराशूट के सहारे
हिचकोले खाता
 कभी नक्सलवादी बन न्याय मांगता
आतंक जगाता मन !

6 टिप्‍पणियां:

  1. बियाबान जंगलों में बसे गाँव में
    जहाँ आबादी के नाम पर
    विचारों के झुंड हैं....... बहुत ही भावों भरा अभिव्यक्ति .......!!

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  2. सुन्दर भावों भरी अभिव्यक्ति ....

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  3. सुंदर अभिव्यक्ति !! बधाई आपको

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  4. बहुत ही सुंदरता से आपने मन के भिन्न आयामों को उकेरा है |

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  5. रविकर जी, रंजना जी, माहेश्वरी जी, सतीश जी, मनु जी, व इमरान आप सभी का स्वागत व आभार !

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