सोचे सोच न होवई
मन बुनता है शब्दों से
विचारों की टोकरियाँ
और भरता रहता है सपनों के फूल
भावों की डोर में पिरो कर
नादान है .. यह नहीं जानता
मात्र छाया है यह !
शब्दों का आश्रय दूर तक काम नहीं आता
अपने ही सिर केवल बोझ बढ़ता जाता
जिस दिन मौन का पात्र होगा
सुमन स्वतःप्रकटेंगे उसमें
परम के चरणों पर जो चढ़ेंगे
जो ‘है’ वही मुखर होगा
तब जीवन धारा बहेगी निर्द्वन्द्व
प्रतिबद्धता के तटों के मध्य
जिसे प्रमाण के लिए तकना नहीं होगा
न ही अनुमोदन के लिए
वह स्वयंसिद्धा
तभी प्रकटेगी जीवन से !
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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जवाब देंहटाएंSadhguru Quotes In Hindi
स्वागत व आभार !
हटाएंपरिपक्व चिंतन के सु-फल मुखर हो उठेहैं.
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंस्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसच है !
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