शनिवार, फ़रवरी 1

आया वसंत



आया वसंत

चल  सखि !  देखें, सरसों फूली 

हर्षाया उर , हर गम भूली !


हुलस उठी बगिया देखो ना 

नव यौवन वृक्षों पर आया 


लतर हरी भयीं भर-भर फूलीं 

गाया मन ने,  हर ग़म भूली !


चल  सखि !  देखें, सरसों फूली 


भँवरे गुन-गुन गायें फागुन 

कोकिल, मोर, पपीहा टेरें 


अमराई की गंध समो ली 

 हर्षाया उर, हर गम भूली !


चल  सखि !  देखें, सरसों फूली

14 टिप्‍पणियां:

  1. बसंत का आगमन, माँ सरस्वती का प्रसाद हर तरफ ... प्रकृति खिल रही है यहाँ पर भी ...

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  2. बहुत शानदार रचना अनीता जी, आपने बसंत का स्वागत बहुत खूब क‍िया है ...वाह

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  3. बहुत बहुत आभार दिग्विजय जी, आज ३ फ़रवरी है

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  4. स्वागत व आभार अलकनंदा जी !

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  5. वसंत आगमन का सुंदर चित्रण।

    🌾🌾🌹सरस्वती नमस्तुभ्यं,
    वरदे कामरूपिणी,
    विद्यारम्भं करिष्यामि,
    सिद्धिर्भवतु मे सदा।

    बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🏻🙏🏻

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    1. आपको भी बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं रूपा जी !

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  6. बहुत सुंदर है , माना की अभी जब में यह प्यारी सी रचना को पढ़ रही हूँ तो महीना बरसात के आगमन काल आषाढ़ का है , फिर भी यह मन में वैसा ही सुख उत्पन्न करता है जैसा कि वसंत में पुष्पित प्रकृति के मनोहारिणी रुप को देखकर मिलता है और रही बात बरसात की तो वह भी प्रकृति के सौंदर्य को पुलकित करता मन को वसंत सा ही आनंदमय रुप देता है । धन्यवाद ... अनीता जी ! आज शाम मेरे इधर बारिश भी खूब हुई है और रचना को पढ़कर आज एक ही समय पर दो भिन्न ऋतुओं का सुंदर सहभाव मन और अनुभव में एक साथ प्रकट हो गए है । इसी के साथ शुभरात्रि !

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