सदगुरु पावनी जीवन ज्योति
गुरुदेव का गुरुत्व अनोखा
ईश्वरीय शुभ ज्योति सरीखा,
नित्य अनंत प्रेम बरसाए
उत्सव जीवन में ले आये !
जग का मार्ग बड़ा कंटीला
सदगुरु का पथ है रंगीला,
श्रद्धा, शील, बुद्धि का दाता
सहज समाधि का भी प्रदाता !
कुछ पालूं, कुछ तो बन जाऊं
इस चक्र से बाहर निकाले,
बिना किये ही जो मिलते हैं
दे प्रसाद में तोष निराले !
कोहिनूर सा जगमग चमके
सदगुरु पावनी जीवन ज्योति,
बरसाएँ प्रमुदित मन सारे
आनंद अश्रुओं के मोती !
दूर रहे न निकट ही रहता
जहाँ भी हो सुरभि फैलाये,
श्रद्धा के वाहन पर दिल के
प्रीत सनेहे आये जाएँ !
अनिता निहालानी
६ अक्तूबर २०१०
सही कहा है अनीता जी.....बिना सदगुरु सब अधूरा है ........ये बात पसंद आई की आपने सिर्फ गुरु की जगह सदगुरु का प्रयोग किया क्योंकि इन दो शब्दों में ज़मीन-आसमान का फर्क है |
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