बापू के नाम
तुम
एक दिव्य चेतना
जो तन मन को सचेत कर गयी है
जैसे एक चिंगारी भड़की हो
अनुप्राणित कर दिया हो जिसने
तुम्हारा अनूठा व्यक्तित्व, अनोखे बोल
प्राणोत्सर्ग और वह सब
जिसके लिये तुम लड़े...
खुद से जुड़ा मालूम होता है,
तुम्हारी आँखों में छिपा दर्द
और निर्भयता की चादर
सत्य के प्रति प्रेम
आज पुकारते हैं
जब देश खड़ा है दोराहे पर,
सच है
तुमने जो दिया जलाया था
कहीं खो गया
करोड़ों हाथ जिसके रक्षक थे
बुझ कर जाने कैसे
असत्य बो गया ?
लेकिन आज भी तुम
धड़कते हो हजारों दिलों में
मशालें आज भी जलती हैं
तुम्हारे नाम की
आज भी रस्ता दिखाते
नमन तुम्हें, हे बापू !
अनिता निहालानी
३० जनवरी २०११
बापू को नमन ....
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति ..
तुमने जो दिया जलाया था
जवाब देंहटाएंकहीं खो गया
करोड़ों हाथ जिसके रक्षक थे
बुझ कर जाने कैसे
असत्य बो गया ?
बहुत सार्थक श्रद्धांजली गांधी जी को..
अच्छा लगा बापू को यूँ भी याद करना
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजली गांधी जी को..
जवाब देंहटाएंमहान आत्मा को हमारा नमन !
जवाब देंहटाएंआज भी रस्ता दिखाते
जवाब देंहटाएंनमन तुम्हें, हे बापू !--मेरा भी नमन ,हे बापू !
bhavpoorn prastuti..
जवाब देंहटाएंbapoo ko koti-koti naman.