सुरमई शाम
ढल रही है शाम ऐसे
इक मधुर सुस्व्प्न जैसे !
नील अम्बर मुग्ध तकता
बादलों के पार हँसता,
तैरते हैं कुछ विहग
लें आखिरी उड़ान खग !
वृक्ष भी हो मौन नत हैं,
फूल सो जाने में रत हैं !
दिन सिमट कर गमन करता
रात का रथ कहीं सजता !
पंछियों के गान छूटे
दादुरों के बोल फूटे,
झींगुरों ने साज बांधे
लता सोयी वृक्ष कांधे !
सुरमई यह शाम प्यारी
याद लाती है तुम्हारी !
अनिता निहालानी
२७ मार्च २०११
बहुत खूबसूरत रचना प्राकृतिक वर्णन के साथ स्मृतियों का आना ...सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशाम के समय का बहुत मोहक वर्णन ,स्वप्निल लोक में ले गया मुझे भी.
जवाब देंहटाएंअनीता जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दरता से उकेरा है सुरमई शाम का चित्र......एक हसीं मंज़र उभरता है आँखों के सामने........प्रशंसनीय |
अनीता जी टिप्पणी का शुक्रिया......हाँ 'की' गलत टाइप हो गया था आप सहीं हैं 'कि' होना था.......आपकी बात मैं ठीक से समझा नहीं.....मुदिता जी ने क्या जवाब दिया.....अच्छा शायद आप उनकी टिप्पणी के बारे में कह रही हैं.......उनकी टिप्पणी के जवाब में मैंने जो कहा वो ज्यों का त्यों यहाँ दे रहा हूँ......उम्मीद है आपकी शंका का समाधान हो जायेगा.....
जवाब देंहटाएं@ मुदिता जी.....जज़्बात पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से आभारी हूँ.....अज़ल और अजल में फर्क का मुझे पता नहीं था....आपने इस और ध्यान दिलाया इसका शुक्रिया आगे से ध्यान रखूँगा......रही बात नाम की तो मेरे ब्लॉग में सबसे ऊपर लिखा है शायद आपने ध्यान नहीं दिया ....इस दहलीज़ पर सिर्फ जज्बातों की अहमियत है नामों की नहीं.....हो सके तो नामों से ऊपर उठें और जज्बातों में डूबिये......आपने खुद कहा यहाँ मैं खुद भी लिखता हूँ पर क्या आपको कहीं मेरा नाम लिखा दिखा? ......नहीं न....
अगर ग़ज़ल में कहीं तखल्लुस का इस्तेमाल हुआ है तो वो ज़रूर आएगा.......और यकीन जानिए मैं इसका श्रेय नहीं लेता......मेरा मकसद सिर्फ इतना है की हम तेरा और मेरा से हटकर रचना में निहित जज्बातों पर गौर करें......आप मेरे ब्लॉग के बारे में पढेगी .....तो आपको देखेगा मैंने ये सब वहां पहले ही लिखा हुआ है .........एक बार फिर से शुक्रिया आपका....
पंछियों के गान छूटे दादुरों के बोल फूटे,
जवाब देंहटाएंझींगुरों ने साज बांधे लता सोयी वृक्ष कांधे !
सुरमई यह शाम प्यारी याद लाती है तुम्हारी !
अनीता जी बहुत अच्छा सुरमई शाम का चित्र खींचा कविता के माध्यम से. बहुत सुंदर रचना है.
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका शुक्रिया और तर्जनी की गलती की ओर इंगित करने के लिए आभार. इसी तरह अनवरत मार्गदर्शन करती रहें भविष्य में भी.
अनीता जी,
जवाब देंहटाएंकलम का सिपाही पर आपकी टिप्पणी का शुक्रिया.......जहाँ तक मुझे पता है 'आशक्ति का अर्थ है 'सामर्थ्यहीनता' कुछ न कर पाने योग्य.....अज़ल और अजल के बारे में मुदिता जी ने अपनी टिप्पणी में बताया है आप चाहें तो वहां से देख सकती हैं और उर्दू के जो भी शब्द आप न समझ पायें उसे बेहिचक पूछ सकती है मैं कोशिश करूँगा की आपको उसका अर्थ बता सकूँ |
आभार
इमरान
sunder rachna-
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