बुधवार, मार्च 30

मन राधा उसे पुकारे

मन राधा उसे पुकारे

झलक रही नन्हें पादप में
एक चेतना एक ललक,
कहता किस अनाम प्रीतम हित
खिल जाऊँ उडाऊं महक !

पंख तौलते पवन में पाखी
यूँ ही तो नहीं गाते,
जाने किस छुपे साथी को
टी वी टुट् में पाते !

चमक रहा चिकना सा पत्थर
मंदिर में गया पूजा,
जाने कौन खींच कर लाया
भाव जगे न दूजा !

चला जा रहा एक बटोही
थम कर किसे निहारे,
गोविन्द राह तके है भीतर
मन राधा उसे पुकारे !

अनिता निहालानी
३० मार्च २०११



7 टिप्‍पणियां:

  1. चला जा रहा एक बटोही
    थम कर किसे निहारे,
    गोविन्द राह तके है भीतर
    मन राधा उसे पुकारे
    bahut sundar...

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  2. anita ji aapki kavita bahut bhavpoorn hai .aapke blog ko maine aaj ''ye blog achchha laga ''par liya hai.aur yah isliye ki aapke kavitva ne bahut prabhavit kiya aap yadi samay nikal kar is blog par aayen to hame hardik roop se bahut sukh sahyog milega.blog ka url hai'http://yeblogachchhalaga.blogspot.com

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  3. चमक रहा चिकना सा पत्थर
    मंदिर में गया पूजा,
    जाने कौन खींच कर लाया
    भाव जगे न दूजा !
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    भाव भरी रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई |
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  4. अनीता जी,

    पोस्ट शानदार है ......पर मैं इसका 'टी वी टुट्' का मतलब नहीं समझा......

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  5. @ अनीता जी आभार 'टी वी टुट' का मतलब बताने और अपनी राय देने का......इतना सारा काफी दिन बाद टाइप किया था इसलिए अशुद्धियाँ रह सकती हैं.....इस ओर ध्यान दिलाने का आभार....

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  6. रचना भाव भरी है
    बहुत-बहुत बधाई

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