बस इतना सा ही सरमाया
गीत अनकहे, उश्ना उर की
बस इतना सा ही सरमाया !
कांधे पर जीवन हल रखकर
धरती पर फिर कदम बढाये
कुछ शब्दों के बीज गिराए
उपवन गीतों से महकाए !
प्रीत अदेखी, याद उसी की
बस इतना सा ही सरमाया !
कदमों से धरती जब नापी
अंतरिक्ष में जा पहुँचा मन
कुछ तारों के हार पिरोये
डोले चन्द्रमाओं सँग-सँग !
कभी स्मृति, कभी कल्पना
बस इतना सा ही सरमाया !
अनिता निहालानी
७ मई २०११
कदमों से धरती जब नापी
जवाब देंहटाएंअंतरिक्ष में जा पहुँचा मन
कुछ तारों के हार पिरोये
डोले चन्द्रमाओं के सँग-सँग
bahut sundar bhavabhivyakti.badhai.
बहुत ही सुन्दर भाव........
जवाब देंहटाएंउश्ना - ???
अदेखी - अनदेखी?
कभी स्मृति, कभी कल्पना
जवाब देंहटाएंबस इतना सा ही सरमाया !
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना...
कुछ शब्दों के बीज गिराए
जवाब देंहटाएंउपवन गीतों से महकाए !
यह पंक्तिया आप मुझे दे दें, आपका आभारी रहूँगा ...
गीत अनकहे, उश्ना उर की
जवाब देंहटाएंबस इतना सा ही सरमाया !
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना.
इमरान जी, देर से जवाब देने के लिये क्षमा, अदेखी व अनदेखी दोनों का एक ही अर्थ है तथा उश्ना यहाँ पर यानि असम में तप्त को कहते हैं, मुझे तृष्णा और ऊष्मा दोनों के भाव लिये लगा यह शब्द.
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावशाली..बहुत ही कोमल अभिव्यक्ति..
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