नार्वे, लीबिया हो या अफगानिस्तान, या अपना भारत, हर देश के निर्दोष आज हिंसा का शिकार हो रहे हैं.... जाने कब होगा इसका अंत....
बहुत रुलाते हैं
बहुत रुलाते हैं आतंक का शिकार हुओं के
परिवार वालों के आँसू
जो अखबार के दूसरे पन्ने पर अंकित हैं, सूखे नहीं हैं
वह रुदन और क्रन्दन
जो एक अर्थहीन हत्या से उपजा है
बहुत दंश देता है !
कुकुरमुत्तों की तरह उग आये हैं
हथियार और बीमार मानसिकताएं
छिड़ा है एक अनाम युद्ध
मुल्क दर मुल्क होते हैं निहत्थों पर वार
आतंक और जनतंत्र में टूटे हुए विश्वास
बहुत रुलाते हैं !
गोली से व्यक्ति नहीं मरता
मरती है आस्था, टूट जाती है
प्यार की अनवरत धारा
बेबसी, पीड़ा झेलने को बाधित
परिवारों के आँसू
बहुत रुलाते हैं !
मुल्क दर मुल्क होते हैं निहत्थों पर वार
जवाब देंहटाएंआतंक और जनतंत्र में टूटे हुए विश्वास
बहुत रुलाते हैं !
गोली से व्यक्ति नहीं मरता
मरती है आस्था, टूट जाती है
अत्यंत मार्मिक और संवेदनशील रचना. प्रश्न यह है क्या प्रस्थर में स्पंदन होगा? क्या चेतना जागृत होगी इस कारुणिक रचना से?
क्या वे सुधरेंगे हो हैं जिम्मेदार, समर्थक ही नहीं, पोषक भी. अआखिर उनमे, भुक्तभोगियों में उन्हें अपने बच्चे, ओना परिवार, अपने लोग क्यों नहीं दीखते? वह दिन कब आयेगा?
बहुत ही बाह्नामायी, कारुणिक पोस्ट. आभार...
बहुत मार्मिकता के साथ सत्य को उजागर किया है आपने.......
जवाब देंहटाएंSachmuch bahut rona aata hai ye sab dekh kar ...marmik rachana
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक भावों को उजागर किया है आपने.....बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआज के परिदृश्य का सटीक चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंबेबसी, पीड़ा झेलने को बाधित
जवाब देंहटाएंपरिवारों के आँसू
बहुत रुलाते हैं । मर्मस्पर्शी रचना ।
गोली से व्यक्ति नहीं मरता
जवाब देंहटाएंमरती है आस्था, टूट जाती है
प्यार की अनवरत धारा
बेबसी, पीड़ा झेलने को बाधित
परिवारों के आँसू
बहुत रुलाते हैं !
सटीक कहा है ..अच्छी भावाभिव्यक्ति
गहन संवेदना से आप्लावित मर्मस्पर्शी सुंदर रचना. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
गहन भावों का समावेश इस प्रस्तुति में ...आभार ।
जवाब देंहटाएंगोली से व्यक्ति नहीं मरता
जवाब देंहटाएंमरती है आस्था.......
बहुत मार्मिक.....
मन को गहरे तक छू गई....बेहद मर्मस्पर्शी
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी सुंदर रचना. आभार.
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