कैसी है यह विडंबना
भीतर इक प्रकाश जगा है
बाहर लेकिन अंधकार है,
जिसका ज्ञान हुआ है भीतर
बाहर दिखता नहीं प्यार है !
एक तत्व से बना जगत यह
फिर भी भेदभाव कर्मों में,
एक ही ज्योति हुई प्रकाशित
फिर भी पृथक हुए धर्मों से !
कथनी करनी का यह अंतर
साल रहा मन को भारी है,
सहज मिटेगा यह अंतर भी
खोज अभी मन की जारी है !
प्रेम किये से पड़े झेलना
स्वयं को भी जीवन का जुआ,
प्रेम मांगता कीमत अपनी
सरल शाब्दिक देना दुआ !
भीतर एक अकर्ता बैठा
लेकिन कर्म से मुक्ति नहीं है,
क्या करना क्या नहीं है करना
इसकी कोई युक्ति नहीं है ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
सत्य यही सामने आता,
निज सुख की खातिर दूजे को
जब कोई गुलाम बनाता !
उसमें कोई गति नहीं है
अचल अनादि जो अनंत है,
मन में ही घटना-बढ़ना है
लेकिन स्वयं सदा बेअंत है !
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
जवाब देंहटाएंसत्य यही सामने आता,
निज सुख की खातिर दूजे को
जब कोई गुलाम बनाता
बहुत सही कहा है आपने। इसांन की फितरत ही ऐसी होती है।
भीतर एक अकर्ता बैठा
जवाब देंहटाएंलेकिन कर्म से मुक्ति नहीं है,
क्या करना क्या नहीं है करना
इसकी कोई युक्ति नहीं है ?
यही दुविधा तो जीवन पर्यन्त चलती है......आपकी पोस्ट पढ़कर वाकई मन को एक सुकून सा मिलता है........शुभकामनायें आपको|
कथनी करनी का यह अंतर
जवाब देंहटाएंसाल रहा मन को भारी है,
सहज मिटेगा यह अंतर भी
खोज अभी मन की जारी है !
बहुत ही गहन और सार्थक रचना ..
आपकी रचनाएँ पढ़कर एक सही सोच की दिशा मिलती है मन को .
बधाई एवं शुभकामनायें...!!
bahut gahan bhaav se paripoorn rachna hai badhaai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत सन्देश और भाव है इस रचना में ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
यही विडम्बना ही तो हमारा इस संसार से मोह भंग कराती है.
जवाब देंहटाएंभीतर एक अकर्ता बैठा
जवाब देंहटाएंलेकिन कर्म से मुक्ति नहीं है,
संदेश बहुत स्पष्ट है। कविता का प्रवाह प्रभावित करता है।
भीतर इक प्रकाश जगा है
जवाब देंहटाएंबाहर लेकिन अंधकार है,
जिसका ज्ञान हुआ है भीतर
बाहर दिखता नहीं प्यार है !
Sundar Rachna .
भीतर एक अकर्ता बैठा
जवाब देंहटाएंलेकिन कर्म से मुक्ति नहीं है,
क्या करना क्या नहीं है करना
इसकी कोई युक्ति नहीं है ?
बहुत ही बढ़िया।
सादर
कल 15/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
भीतर इक प्रकाश जगा है
जवाब देंहटाएंबाहर लेकिन अंधकार है,
जिसका ज्ञान हुआ है भीतर
बाहर दिखता नहीं प्यार है !
बहुत अच्छे भाव लिए शानदार अभिब्यक्ति /बधाई आपको /
ब्लोगर्स मीट वीकली (४)के मंच पर आपका स्वागत है आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आभार/ इसका लिंक हैhttp://hbfint.blogspot.com/2011/08/4-happy-independence-day-india.htmlधन्यवाद