कविता अपनी मर्जी से आयेगी
कभी उगाएगी फूल
कभी दर्द जगायेगी
उसे लाया नहीं जा सकता उस तरह
जैसे बाजार से लाते हैं सामान
वह उतरती है तब
जब भीतर मौसम गाते हैं
कभी सुख के कभी दुःख के
कुछ पल याद आते हैं !
कविता छिपाएगी नहीं कुछ
खोल कर रख देगी सब
अंदर बाहर सब एक कर देगी
तार तार कर देगी वह द्वंद्वों के वस्त्र
कुंठाओं को चीर.. विवश कर देगी
जब उसकी जैसी इच्छा होगी
वही रंग लाएगी
कविता अपनी मर्जी से आयेगी
वह नहीं है कोई हिसाब घर का
नहीं है लेखा-जोखा जीवन का
वह आग है हर सीने में जलती हुई
जो आखिरी दम तक जलाएगी
कविता अपनी मर्जी से आयेगी
कविता अपनी मर्जी से आयेगी
जवाब देंहटाएंवह नहीं है कोई हिसाब घर का
नहीं है लेखा-जोखा जीवन का
वह आग है हर सीने में जलती हुई
जो आखिरी दम तक जलाएगी
बहुत सुंदर .... सच्ची बात
वह आग है हर सीने में जलती हुई
जवाब देंहटाएंजो आखिरी दम तक जलाएगी
कविता अपनी मर्जी से आयेगी
वह ...बिलकुल सही ...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...!
शुभकामनायें अनीता जी ....!!
बहुत बढ़िया |
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें ||
भावनाओं की सघनतम अभिव्यक्ति के लिए कविता ही एक मात्र माध्यम है। वह इतनी आसानी से आती नहीं और जब आती है तो सैलाब उठ पड़ता है।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सहमत हूँ कि कविता उतरती है रची नहीं जाती.....वाह ।
जवाब देंहटाएंवह नहीं है कोई हिसाब घर का
जवाब देंहटाएंनहीं है लेखा-जोखा जीवन का
वह आग है हर सीने में जलती हुई
जो आखिरी दम तक जलाएगी
कविता अपनी मर्जी से आयेगी
....बिलकुल सच कहा है...बहुत सुंदर प्रस्तुति...आभार
सच है..................
जवाब देंहटाएंभावनाओं पर किसी का जोर नहीं चलता...
सुंदर रचना अनीता जी.
सादर.
सही कहा कविता अपनी मर्जी से आयेगी..बहुत सुंदर प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंउसे लाया नहीं जा सकता उस तरह
जवाब देंहटाएंजैसे बाजार से लाते हैं सामान
कविता अपनी मर्जी से आयेगी
शत प्रतिशत सत्य... बहुत सुन्दर रचना... आभार
कविता की आग जलती रहे।
जवाब देंहटाएंअप सभी सुधी जनों का हृदय से आभार व स्वागत !
जवाब देंहटाएंबहुत अद्भुत रचना है आपकी....बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज