यदि मेरे हाथों में शासन की बागडोर हो
.....तो खोल डालूं पांच सितारा होटल के द्वार
उन निर्धन मजदूरों के लिये
जिन्होंने कड़ी धूप में तपकर खड़े किये थे
वे गगनचुम्बी महल....
और दूर दराज के गावों में
जहाँ न सड़के हैं न बिजली
रहने को भेज दूँ मोटे-मोटे खादी धारियों को...
आलीशान बंगलों में
खाली पड़े हैं जो, सन्नाटा गूंजता है जहाँ
स्कूल और अस्पताल चलाऊँ
विवश हैं जो लम्बी कतारों में लगने को
उनको वहाँ दाखिला दिलाऊँ...
मिलावट करने वाले हों या कालाबाजारी
भेज दूँ उनको, उनकी सही जगह
और मेहनतकश, कर्मठ हाथों को
ईमानदारी से शुद्ध सामान बेचने में लगा दूँ...
जो भूल गए हैं ड्यूटी पर आना
ऐसे अध्यापकों, डाक्टरों, अधिकारियों या पायलटों को
रिटायर कर दूँ किसी भी उम्र में
और काम करने को आतुर लोगों की
रिटायरमेंट उम्र बढा दूँ जितनी वे चाहें....
जहरीली दवाएं और जहरीली खादें
धरती को विषैला न बनाएँ
ऐसा फरमान निकालूं
विकलांग न हों जिससे
दूषित भोजन को खाकर और बच्चे...
टीवी पर आने वाले झूठे विज्ञापनों के जाल से
मुक्त करूं आम जनता को
बढ़ावा मिले योग और सात्विकता को
हर बच्चे की पहुँच हो
संगीत व नृत्य तक
पेड़ लगाना अनिवार्य हो जाये
हर बच्चे के जन्म पर....
विज्ञान के साथ-साथ
साहित्य पढ़ने वाले विद्यार्थी भी
उच्च पदों पर आयें
कलाविहीन मानव
पशु रूप में और न बढ़ने पाएँ...
गर्व हो अपनी संस्कृति पर ऐसे
मंत्री बनाऊँ
सरकारी ठेके की दुकानों पर दूध-लस्सी की
नदियाँ बहाऊँ...
ख्वाब तो यही है कि
न हो अन्याय किसी के साथ
हर किसी के पास हो
सम्मान से जीने का अधिकार...
बहुत बढ़िया अनीता जी
जवाब देंहटाएंहम अभी सोच विचार में ही लगे थे और आपने लिख भी डाली....
लाजवाब रचना
सादर
अनु
काश ... ये ख़्वाब न होकर हकीक़त होता...सुन्दर लिखा है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें अनीता जी .
वाह जी अनीता जी
जवाब देंहटाएंआप जल्दी से ले लीजिए शासन की बागडोर अपने हाथ में.
आपकी सोच कमाल की है जी.
जो अनीति न होने दे वही तो है अनीता
काश कि शासन की बागडोर सचमुच आपके हाथों में आ जाये... शुभकामनायें अनीता जी ...
जवाब देंहटाएंकाश ऐसा हो जाए.....शुभकामनायें अनीता जी ...
जवाब देंहटाएंकाश की आप ही के हाथ में शासन की बागडोर हो....ऐसे सुयोग्य हाथ अन्यथा कहाँ मिलेंगे।
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सूचनार्थ
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सुंदर प्रस्तुति .... काश शासक भी कुछ ऐसा सोचते
जवाब देंहटाएंchaliye ji maine apna vote to apko diya.....to kab le rahi hain shasan ki baagdor apne haath ?
जवाब देंहटाएंऐसे भाव कभी-कभी सब मन में आ ही जाते हैं..काश....
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