सुख शायद अनजाना सा था
सुख सागर से था मुँह मोड़ा
दुःख के इक प्याले की खातिर,
सुख शायद अनजाना सा था
दुःख ही था अपना परिचित चिर !
अपनी एक पोटली दुःख की
सभी लगाये हैं सीने से,
पीड़ा व संताप जहां है
जाने क्या है उस जीने में !
निज हाथों से घायल करते
तन-मन दोनों को ही निशदिन,
अपना अपना जिनको कहते
बैर निकाला करते प्रतिदिन !
कैसी माया है यह जग की
मन का भेद न जाने कोई,
जिसका दूजा नाम ही पीड़ा
बिन त्यागे न राहत कोई !
या तो शरणागत हो जाएं
या फिर खुद को ही पहचानें,
मन के चक्कर में जो आया
हाल जो होगा वह ही जाने !
bahut sunder rachna. man ko manan k liye agrsar karti rachna.
जवाब देंहटाएंअनामिका जी, आभार !
हटाएंबहुत अच्छी रचना......
जवाब देंहटाएंनिज हाथों से घायल करते
जवाब देंहटाएंतन-मन दोनों को ही निशदिन,
अपना अपना जिनको कहते
बैर निकाला करते प्रतिदिन !...बहुत भावमयी रचना..आभार
निज हाथों से घायल करते
जवाब देंहटाएंतन-मन दोनों को ही निशदिन,
अपना अपना जिनको कहते
बैर निकाला करते प्रतिदिन !
बहुत सुंदर रचना ....सब दुखों की पोटली लिए बस सुख की कामना करते रहते हैं ...
बहुत सुन्दर रचना.....
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
khud ko hi pahchan le to bhala ho jaye ham sabka .shandar abhivyakti.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना अनिता जी ...मन पर बुद्धि का अंकुश बहुत ज़रूरी है ...!!प्रेरणास्पद और संग्रहणीय ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंहर शब्द जिंदगी के यथार्थ से जुड़ा है..!!
ऐसी रचनायें जीवन की परिपक्वता से ही जन्म लेती हैं..!!
अपनी एक पोटली दुःख की
जवाब देंहटाएंसभी लगाये हैं सीने से,
पीड़ा व संताप जहां है
जाने क्या है उस जीने में !
....अंतर्मन को छू जाती बहुत सुन्दर और प्रभावी अभिव्यक्ति...आभार
निज हाथों से घायल करते
जवाब देंहटाएंतन-मन दोनों को ही निशदिन,
अपना अपना जिनको कहते
बैर निकाला करते प्रतिदिन !
बहुत ही सुन्दर है पोस्ट....एक एक शब्द सत्य ....हैट्स ऑफ इसके लिए ।
कैसी माया है यह जग की
जवाब देंहटाएंमन का भेद न जाने कोई,
जिसका दूजा नाम ही पीड़ा
बिन त्यागे न राहत कोई !
या तो शरणागत हो जाएं
या फिर खुद को ही पहचानें,
मन के चक्कर में जो आया
हाल जो होगा वह ही जाने !
सच कहा सुन्दर संदेश देती शानदार प्रस्तुति
एक अलग रंग की सुन्दर रचना..बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंकैसी माया है यह जग की
जवाब देंहटाएंमन का भेद न जाने कोई,
जिसका दूजा नाम ही पीड़ा
बिन त्यागे न राहत कोई !
क्या सुंदर सन्देश पहुंचाता है यह गीत.
सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंमन को काबू करना जरुरी है..
:-)
रीना जी, रचना जी, अमृता जी, वन्दना जी, इमरान, कैलाश जी, अनुपमा जी, शालिनी जी, माहेश्वरी जी, अनु जी, व संगीता जी आप सबका हार्दिक स्वागत व बहुत बहुत आभार !
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