हर जगह है हाथ कोई
बेसुरी न बांसुरी हो
शहद जैसी माधुरी हो,
जिंदगी यह कीमती है
ज्यों कमल की पाँखुरी हो !
प्रीत सुर भीतर जगे
शांति का उपवन उगे,
बोल जो भी सहज फूटें
चाशनी में हों पगे !
सत्य जब आकार लेगा
सहज सब स्वीकार होगा,
जो थे हम वह ही दिखें
बस यही संदेश देगा !
गूँजता अस्तित्व सारा
ज्योतियों से तमस हारा,
हर जगह है हाथ कोई
राह दे, देकर सहारा !
सत्य जब आकार लेगा
जवाब देंहटाएंसहज सब स्वीकार होगा,
जो थे हम वह ही दिखें
बस यही संदेश देगा !....बहुत सुन्दर भाव..
माहेश्वरी जी, स्वागत व आभार !
हटाएंआपकी उम्दा पोस्ट बुधवार (07-11-12) को चर्चा मंच पर | जरूर पधारें |
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ |
प्रदीप जी, बहुत बहुत आभार !
हटाएंमीठे बोल प्रीत को बढ़ते हैं ... बहुत सुंदर रचना ... सार्थक संदेश देती हुई
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......
जवाब देंहटाएंसुषमाजी, स्वागत है !
हटाएंसत्य जब आकार लेगा
जवाब देंहटाएंसहज सब स्वीकार होगा,
जो थे हम वह ही दिखें
बस यही संदेश देगा !
- यही है ईमानदारी !
प्रतिभा जी, वाकई यही ईमानदारी है यही सहजता है..
हटाएंगूँजता अस्तित्व सारा
जवाब देंहटाएंज्योतियों से तमस हारा,
हर जगह है हाथ कोई
राह दे, देकर सहारा !
लाजवाब रचना .... :)
आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं।अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।धन्यवाद !!
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html
रोहितास जी, आपका स्वागत है, आपके ब्लॉग पर जाकर मुझे भी खुशी हुई.
हटाएंसत्य जब आकार लेगा
जवाब देंहटाएंसहज सब स्वीकार होगा,
बहुत ही सुंदरा पंक्तियाँ......शानदार ।
आपकी सुन्दर प्रेरक लयबद्ध रचना बहुत पसंद आई जिसकी लिए आपको बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 - 11 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
सच ही तो है .... खूँटे से बंधी आज़ादी ..... नयी - पुरानी हलचल .... .
संगीता जी, आपकी टिप्पणी हाजिर है, बहुत-बहुत आभार !
हटाएंयही भरोसा ही भव पार कराता है..
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा है अमृता जी..
हटाएंइमरान व राजेश जी, आपका स्वागत व आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ! एकदम ताज़गी भरी !:)
जवाब देंहटाएं~सादर
भावों से परिपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअंतस को स्पर्श करते एक एक शब्द...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंमीता, अंजू जी, व कैलाश जी स्वागत व आभार !
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