गगन अपना लगेगा जगेंगी पाँखें
अभावों का भाव नजर आता है
भावों का अभाव खले जाता है,
‘नहीं है’ जो, टिकी उस पर दृष्टि
जो ‘है’, कोई देख नहीं पाता है !
जगे, पर सोने का अभिनय करते
नित नूतन रंग सपनों में भरते,
जानते, पल दो पल का भ्रम ही है
सामना सत्य का करने से डरते !
जागे हुओं को जगाना है मुश्किल
पानी से तेल नहीं होता हासिल,
फिर भी कोशिश किये जाते हैं वे
दूर निकले जो कैसे पायें साहिल !
कभी तो होश आएगा खुलेंगी आँखें
गगन अपना लगेगा जगेंगी पाँखें,
देर न हो जाये बस डर यही है
रिस रहा जीवन हैं लाखों सुराखें !
जागे हुओं को जगाना है मुश्किल
जवाब देंहटाएंपानी से तेल नहीं होता हासिल,
फिर भी कोशिश किये जाते हैं वे ...
कोशिश अनादी काल तक करना व्यर्थ है ऐसे लोगों पर ...
सार्थक लिखा है ...
रिस रहा जीवन हैं लाखों सुराखें !
जवाब देंहटाएंसच!
अभावों का भाव नजर आता है
जवाब देंहटाएंभावों का अभाव खले जाता है,
‘नहीं है’ जो, टिकी उस पर दृष्टि
जो ‘है’, कोई देख नहीं पाता है !
भ्रम मे पड़ा प्राणी .......
बहुत सुंदर लिखा है ....बहुत ही सुंदर ....!!
जगे, पर सोने का अभिनय करते
जवाब देंहटाएंनित नूतन रंग सपनों में भरते,
जानते, पल दो पल का भ्रम ही है
सामना सत्य का करने से डरते !--
अभिनय करने वालों में सच का सामना करने की हिम्मत कहाँ होती है ?
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सार्थक रचना.जागे को क्या जगाना सही कहा....बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंजागे हुओं को जगाना है मुश्किल
जवाब देंहटाएंपानी से तेल नहीं होता हासिल,
फिर भी कोशिश किये जाते हैं वे
दूर निकले जो कैसे पायें साहिल !
सटीक और सार्थक रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर है आँखें खोलने वाला है। समय की कद्र कर समय तेरी करेगा औसर बीता जाय।
कभी तो होश आएगा खुलेंगी आँखें
जवाब देंहटाएंगगन अपना लगेगा जगेंगी पाँखें,
देर न हो जाये बस डर यही है
रिस रहा जीवन हैं लाखों सुराखें !
अद्भुत लेखन.
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया । गहन, सुन्दर , शानदार |
जवाब देंहटाएंआप सभी सुधी पाठकों का आभार !
जवाब देंहटाएं‘नहीं है’ जो, टिकी उस पर दृष्टि
जवाब देंहटाएंजो ‘है’, कोई देख नहीं पाता है ! - story of our lives! Lovely poem!