मंगलवार, अगस्त 20

रक्षा बंधन के उत्सव पर हार्दिक शुभकामनायें

राखी


कोमल सा यह जो धागा है
कितने-कितने भावों का
समुन्दर छुपाये है
जिसकी पहुंच उन गहराइयों तक जाती है
जहाँ शब्द नहीं जाते
शब्द असमर्थ हैं
जिसे कहने में
कह देता है राखी का रेशमी सूत्र
सम्प्रेषित हो जाती हैं भावनाएं
बचपन में साथ-साथ बिताये
दिनों की स्मृतियों की
गर्माहट होती है जिनमें
वे शरारतें, झगड़े वे, वे दिन जब एक आंगन में
एक छत के नीचे एक वृक्ष से जुड़े थे
एक ही स्रोत से पाते थे सम्बल
 एक ही ऊर्जा बहती थी तन और मन में
वे दिन बीत गये हों भले
पर नहीं चुकती वह ऊर्जा प्रेम की
 वह प्रीत विश्वास की
खेल-खिलौने विदा हो गये हों
पर नहीं मरती उनकी यादें
उनकी छुअन  
रक्षा बंधन एक त्योहार नहीं
स्मृतियों का खजाना है
हरेक को अपने बचपन से
बार-बार मिलाने का बहाना है
और जो निकट हैं आज भी
उनकी यादों की अलबम में
एक नया पन्ना जोड़ जाना है   

11 टिप्‍पणियां:

  1. रेशम की डोर की महिमा ही अपार है...
    सच कहा आपने::
    "रक्षा बंधन एक त्योहार नहीं
    स्मृतियों का खजाना है"

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  2. रक्षा बंधन एक त्योहार नहीं
    स्मृतियों का खजाना है
    हरेक को अपने बचपन से
    बार-बार मिलाने का बहाना है
    आपको भी रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएं

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  3. सुन्दर...
    रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ...

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  4. भाई बहन के रिश्तों की यादें कितनी सुनहली
    रक्षाबंधन की बधाई व शुभकामनाएँ !
    सुन्दर रचना !
    सादर!

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  5. बहुत बढ़िया.. रक्षाबंधन की बधाई व शुभकामनाएँ !

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  6. पुरुषोत्तम संगम युग का यह पर्व आत्मा के शुद्धिकरण परमात्मा के साथ बंधन बाँधने का भी पर्व है बढ़िया भाव पूर्ण प्रस्तुति।

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  7. सुन्दर प्रस्तुति । राखी की पावन डोर में समूची प्रकृति को बॉध लेने की सामर्थ्य है । आपको बहुत बहुत बधाई ।

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  8. अनुपमा जी, कालीपद जी, शिवनाथ जी, अंजन जी, वीरू भाई, प्रतिभा जी, शकुंतला जी, माहेश्वरी जी अमृता जी, व देवेन्द्र जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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  9. यह कच्चा-सा धागा कितना समर्थ ,कितना मधुर, और कितना प्यारा है !

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