कहा होगा राधा ने कृष्ण से
तुम ! एक परिचित युगों के
जाने-पहचाने
पर्याय मेरे अस्तित्त्व के
पहचान मेरी निज की
खुशबु की तरह समोई तुम्हारी याद
तन-मन में
दीप्त करती, उजाला फैलाती
आँखों में उन दो आँखों की
छाया
कुछ कहते बन गयी
वह मुद्रा
विश्वास चेहरे का
सचेत कर जाता है
तुम्हारा देना
देखना एकटक
फिर हंस देना
भर जाता है मन-प्राण को
अनोखे विश्वास से
अधिकार सहित कहना तुम्हारा
आदर्शवादी तुम !
असीम धैर्यशाली
सर से पाँव तक हूँ
उसी भाव को समर्पित
अंकुरित, हर्षित
तुम भी हो न ?
तुम्हारा देना
जवाब देंहटाएंदेखना एकटक
फिर हंस देना
भर जाता है मन-प्राण को
अनोखे विश्वास से..alaukik warnan ..sahaj shabdon me ....excellent ...
बहुत बढिया..
जवाब देंहटाएंतुम ! एक परिचित युगों के
जवाब देंहटाएंजाने-पहचाने
पर्याय मेरे अस्तित्त्व के
पहचान मेरी निज की
खुशबु की तरह समोई तुम्हारी याद
तन-मन में
मीरा हो या राधा बने रहो श्याम ,
रोज़ सुबहा शाम।
तुम राधे बनो श्याम ,
या मीरा के घनश्याम।
राधा के भावों को सुंदर शब्द दिये हैं ।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर राधा के मनोभावों को क्या बखूबी शब्द दिए हैं |
जवाब देंहटाएंभावों का सुन्दर चित्र
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति प्यार की ..
जवाब देंहटाएंभर जाता है मन-प्राण को
जवाब देंहटाएंअनोखे विश्वास से
अधिकार सहित कहना तुम्हारा
आदर्शवादी तुम !
असीम धैर्यशाली
सर से पाँव तक हूँ
उसी भाव को समर्पित
अंकुरित, हर्षित
तुम भी हो न ?
आप सभी सुधी जनों का हृदय से आभार !
जवाब देंहटाएंसघन भाव...अति सुन्दर..
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