गुरुवार, मार्च 27

जीवन में जब शुभ घटता है

जीवन में जब शुभ घटता है


व्यस्त हस्त चल रहे पाद दो
पल पल अंतर सुर बंटता है

निर्निमेष हैं मुग्ध नयन
पल-पल में अश्रु बहता है

एक गति भावों को मिलती
जीवन में जब शुभ घटता है

मुक्त हास हर पूर्ण आस तब
हरसिंगार हर रुत झरता है

अभिव्यक्ति होती है उसकी
पावनता से मन भरता है

पग में नृत्य गीत अधरों पर
सहज हुआ सा जो रहता है

माँ का हाथ सदा सर पर ज्यों
जैसे गंगा जल बहता है    


9 टिप्‍पणियां:

  1. पावन शुभ सुंदर सी अभिव्यक्ति ...मन जुड़ता है तो भावनाएं भी ऐसे ही जुड़ जातीं हैं ...!!

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  2. एक गति भावों को मिलती
    जीवन में जब शुभ घटता है

    बेहद सशक्त बेहद की सार्थक सौद्देश्य अभिव्यक्ति :
    माँ का हाथ सदा सर पर ज्यों
    जैसे गंगा जल बहता है

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  3. माँ का हाथ सदा सर पर ज्यों
    जैसे गंगा जल बहता है ....बहुत सुन्दर....

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  4. निर्निमेष हैं मुग्ध नयन
    पल-पल में अश्रु बहता है
    bahut sundar anita ji

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  5. सुन्दर चित्र अर्थ और भाव प्रधान लेखन

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  6. शिखा जी, शालिनी जी, शकुंतला जी, तुषार जी, वीरू भाई, अनुपमा जी, माहेश्वरी जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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