रविवार, जनवरी 25

आया वसंत

आया वसंत

महुआ टपके रसधार बहे
गेंदा गमके मधुहार उगे ,
महके सरसों गुंजार उठे
घट घट में सोया प्यार जगे !

ऋतू मदमाती आई पावन
झंकृत होता हर अंतर मन,
रंगों ने बिखराई सरगम
संगीत बहा उपवन उपवन !

जागे पनघट जल भी चंचल
हुई पवन नशीली हँसा कमल,
भू लुटा रही अनमोल कोष
रवि ने पाया फिर खोया बल !

जीवन निखरा नव रूप धरा
किरणों ने नूतन रंग भरा,
सूने मन का हर ताप गया,
हो मिलन, उठा अवगुंठ जरा !


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