यह पल
अतीत के अनन्त युग सिमट आते हैं
वर्तमान के एक नन्हे से क्षण में
भविष्य की अनंत धारा भी
छोटा सा यह पल कितना गहरा है
साक्षी है जो बीते बरसों का
और छिपा है जिसमें भावी का हर स्वप्न
हर क्षण अतीत की कोख से जन्मा है और
निज गर्भ में समेटे है कल
नहीं टूटती है यह श्रृंखला
नहीं टूटी है आजतक !
इस पल में ठहरना ही ध्यान है
इस पल में रुकना ही तोड़ देता है हर सीमा
जो घेर लेती है आत्मा को
करने कैद उसकी ही मान्यताओं के घेरे में !
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअत्यन्त ही सुन्दर रचना है यह । एक छोटी सी कविता में आपने बहुत कुछ बयां कर दिया है जो की सराहनीय है ।
जवाब देंहटाएंयदि आप अपने विचारों को नया आयाम देना चाहते है तो आप हिंदी के एक अन्य माध्यम http://www.shabd.in पर जा सकते है और अपने लेखो को एक मंच प्रदान कर सकते है ।
sty hi h pl me thahrna hi dhyan h....anaskt
जवाब देंहटाएं