झर जाती हर दुःख की छाया
सभी स्वर्ग क्षण भंगुर होंगे
नर्क सभी अनंत हैं होते,
दुःख में समय न कटता पल भर
सुख के क्षण बहते ही जाते !
सुख बँटना ही सदा चाहता
सहज फैलता ही जाता है,
दुःख में भीतर सिकुड़े छाती
सुख विस्तीर्ण हुआ बढ़ता है !
आज सोचते हैं हम कल की
सदा व्यवस्था में ही बीते,
प्रेम जहाँ वहीं सुख पलता
यह पल होता पर्याप्त उसे !
नहीं सताती कल की चिंता
परस प्रेम का जिसने पाया,
खो जाता अतीत, भावी सब
झर जाती हर दुःख की छाया !
सूना उर ! हम जग से भरते
खालीपन भीतर का अपना,
एक ही भाव शाश्वत भीतर
शेष सब ज्यों भोर का सपना !
प्रेम ही है वह दर जहाँ से
जीवन की कलियाँ खिलती हैं,
साझीदार मिले जब कोई
जीवन की धारा पलती है !
नर्क सभी अनंत हैं होते,
दुःख में समय न कटता पल भर
सुख के क्षण बहते ही जाते !
सुख बँटना ही सदा चाहता
सहज फैलता ही जाता है,
दुःख में भीतर सिकुड़े छाती
सुख विस्तीर्ण हुआ बढ़ता है !
आज सोचते हैं हम कल की
सदा व्यवस्था में ही बीते,
प्रेम जहाँ वहीं सुख पलता
यह पल होता पर्याप्त उसे !
नहीं सताती कल की चिंता
परस प्रेम का जिसने पाया,
खो जाता अतीत, भावी सब
झर जाती हर दुःख की छाया !
सूना उर ! हम जग से भरते
खालीपन भीतर का अपना,
एक ही भाव शाश्वत भीतर
शेष सब ज्यों भोर का सपना !
प्रेम ही है वह दर जहाँ से
जीवन की कलियाँ खिलती हैं,
साझीदार मिले जब कोई
जीवन की धारा पलती है !
सारगर्भित अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति सिल्वर मेडल जीतने वाली गोल्डन गर्ल - पीवी सिंधू और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
जवाब देंहटाएंसुन्दर ।
जवाब देंहटाएंअनुपमा जी, ओंकार जी, हर्षवर्धन जी व सुशील जी आप सभी का स्वागत व आभार !
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