जीवन स्वप्नों सा बहता है
आज नया दिन
अग्नि समेटे निज दामन में
उगा गगन में अरुणिम सूरज
भर उर में सुर की कोमलता
नये राग छेड़े कोकिल ने
भीगी सी कुछ शीतलता भर
नई सुवास हवा ले आयी
मंद स्वरों में गाती वसुधा
पल भर में हर दिशा गुँजाई
उड़ी अनिल सँग शुष्क पत्तियां
कहीं झरे पुहुपों के दल भी
तिरा गगन में राजहंस इक
बगुलों से बादल के झुरमुट
नीला आसमान सब तकता
माँ जैसे निज संतानों को
जीवन स्वप्नों सा बहता है
भरे सुकोमल अरमानों को...
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 13 मार्च 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर। होली की शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द रचना
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
स्वागत व आभार सावन जी, आपको भी होली की शुभकामनायें !
हटाएंप्राकृतिक -सौन्दर्य जीवन को प्रभावित करता चलता है और हम समय की गाड़ी में बैठे अपने सपने बुनने चलते हैं. सुन्दर प्रस्तुति। होली की मंगलकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने रविन्द्र जी, स्वागत व आभार !
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