श्रावण की पूनम
गगन पर छाए मेघ
लगे हरियाली के
अंबार
बेला और मोगरे की
सुगंध से सुवासित हुई हवा
आया राखी का
त्योहार गाने लगी फिजां !
भाई-बहन के अजस्र
निर्मल नेह का अजर स्रोत
सावन की जल
धाराओं में ही तो नहीं छुपा है !
श्रावण की पूनम
के आते ही
याद आते हैं
रंग-बिरंगे धागे
कलाइयों की शोभा
बढ़ाते
आरती के शुभ थाल
अक्षत रोली से
सजे भाल
बहनों के दिल से
निकलती अनमोल प्रार्थनाएं
मन्त्रों सी पावन
और गंगा सी विमल भावनाएँ
चन्द्र ग्रहण कर
पायेगा न कम
इस उत्सव की उजास
दिलों में बसा
नेह का प्रकाश
बहन का प्रेम और
विश्वास
भाई द्वारा दिए
रक्षा के आश्वास !
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी !
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " भारतीय छात्र और पूर्ण-अंक “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शिवम जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 07 अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ध्रुव जी !
हटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की शुभकामनाएं...
स्वागत व आभार संजय जी !
हटाएंअनीता जी बहुत बढ़िया लगी आपकी रचना --------
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार रेणु जी !
हटाएंमंत्रों सी पावन ....
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार अमृता जी !
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (5 -8 -2020 ) को "एक दिन हम बेटियों के नाम" (चर्चा अंक-3784) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना....।
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