नदिया सा हर क्षण बहना है
ख्वाब देखकर सच करना है
ऊपर ही ऊपर चढ़ना है,
जीवन वृहत्त कैनवास है
सुंदर सहज रंग भरना है !
साथ चल रहा कोई निशदिन
हो अर्पित उसको कहना है,
इक विराट कुटुंब है दुनिया
सबसे मिलजुल कर रहना है !
ताजी-खिली रहे मन कलिका
नदिया सा हर क्षण बहना है,
घाटी, पर्वत, घर या बीहड़
भीतर शिखरों पर रहना है !
वर्तुल में ही बहते-बहते
मुक्ति का सम्मन पढ़ना है,
फेंक भूत का गठ्ठर सिर से
हर पल का स्वागत करना है !
जुड़े ऊर्जा से नित रहकर
अंतर घट में सुख भरना है,
छलक-छलक जाएगा जब वह
निर्मल निर्झर सा झरना है !
सुंदर सहज रंग भरना है, सबसे मिलजुल कर रहना है,भीतर शिखरों पर रहना है, अंतर घट में सुख भरना है -- हर पंक्ति गहरी बात कहती है,आगे ही बढ़ते रहने को प्रेरित करती बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार नितिन जी !
हटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी !
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