यह बंधन तो प्रेम का बंधन है
बचपन से किशोर फिर युवा होते तन
फिर भी रहे वही बच्चों वाले प्यारे से मन
उन्हीं मासूम मनों के बंधन में बंधे हो तुम दोनों
एक-दूसरे का सम्बल बनकर
देखभाल और परख कर
खूबियाँ और कमियां
सहकर छोटी-बड़ी कमजोरियां
संग-संग चलने का निर्णय है तुम्हारा
बनना चाहते हो हर सुख-दुःख में
इकदूजे का सहारा
निष्ठा और समर्पण
इन दो स्तम्भों पर टिका है यह बंधन
कुछ अधिकारों और कुछ कर्त्तव्यों का करना है निर्वाह
मैत्री और साझेदारी का नाम है विवाह
सुनहरे भविष्य की नींव है यह प्रथा
मिटाती है दिलों से अधूरेपन की व्यथा
दो नहीं अबसे एक हो तुम
दो ‘मैं’ से मिलकर बना है एक समर्थ ‘हम’
विवाह की पावनता को बरकरार रखना
सदा दूजे को दिया करार रखना
थोड़े में कहें तो अधरों पर मुस्कान
और दिल में ढेर सारा प्यार रखना !