जगमग दीप दीवाली के
कुछ कह जाते
कुछ दे जाते
सरस पावनी
ज्योति बहाते
जगमग दीप दीवाली के !
संदेसा गर
कोई सुन ले
कही-अनकही
भाषा पढ़ ले
शीतल मधुरिम
अजिर उजाला
कोने-कोने
में भर जाते
जगमग दीप दीवाली के !
पंक्ति बद्ध
सचेत प्रहरी से
तिमिर अमावस
का हर लेते
खुद मिट कर
उजास बरसाते
रह अकम्प
थिरता भर जाते
जगमग दीप दीवाली के !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 1.11.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3142 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !
हटाएंवाह , बहुत प्यारा लिखती हैं आप ! बधाई
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार सतीश जी !
हटाएंजय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 06/11/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
बहुत बहुत आभार कुलदीप जी !
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार सदा जी !
हटाएंआशा उम्मीद का प्रकाश ले के आते दीपावली के दीप ...
जवाब देंहटाएंघर समाज और सबको रौशन करते दीपोत्सव का स्वागत करती सुंदर रचना ...
स्वागत व आभार दिगम्बर जी !
हटाएंबहुत सुंदर ज्योत्सना से आलोकित रचना ।
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
स्वागत व आभार कुसुम जी ! आपको भी हार्दिक शुभकामनायें !
हटाएंदीपोत्सव का स्वागत करती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
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